कुल्लू, 24 अक्टूबर : मंगलवार को भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव (International Kullu Dussehra Festival) का आगाज हो गया है। हजारों श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम (Jai Shri Ram) के जयघोष के साथ भगवान रघुनाथ का रथ खिंचा। इस दौरान पूरा मैदान गूंज उठा। भुवनेश्वरी माता भेखली का इशारा मिलते ही भगवान रघुनाथ की रथयात्रा शुरू हुई। हिमाचल (Himachal Pradesh) के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी भगवान रघुनाथ के दर्शन किए। रथयात्रा के लिए ढालपुर आने से पहले भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) की पूजा-अर्चना की गई।
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आपको बता दें कि मंगलवार सुबह से ही ढालपुर में देवताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। वहीं, बड़ी संख्या में देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनियों से पूरी घाटी गूंज उठी और देव धुनों से माहौल भक्तिमय हो गया है। एक जानकारी के मुताबिक करीब 300 देवी-देवताओं के उत्सव में शामिल होने की संभावना है। मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह इस दौरान मौजूद रहे।
कुल्लू दशहरा का नाता अयोध्या से है। कुल्लू दशहरा उत्सव का इतिहास 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है। कुल्लू के तत्कालीन राजा जगत सिंह को लगे शाप से मुक्ति दिलाने के लिए अयोध्या से भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) की मूर्ति लाई थी। 1653 में इस मूर्ति को मणिकर्ण मंदिर में रखा गया और 1660 में इसे पूरे विधि-विधान से कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में प्रतिष्ठापित किया गया। राजा ने अपना सब कुछ भगवान रघुनाथ के नाम कर दिया तथा स्वयं उनके छड़ीबरदार बने। तब से भगवान रघुनाथ के सम्मान में वर्ष 1660 से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है।
देवताओं के इस महाकुंभ में 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया था। मेले के लिए आउटर सराज (Outer Saraj) के 14 देवी-देवता 200 किमी दूर से कुल्लू पहुंचे हैं। इनमें देवता खुडीजल, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग, चोतरू नाग, बिशलू नाग, देवता चंभू उर्टू, देवता चंभू रंदल, सप्तऋषि, देवता शरशाई नाग, देवता चंभू कशोली, कुई कांडा नाग, माता भुवनेश्वरी शामिल हैं।