नाहन, 22 अक्तूबर : हाटी आरक्षण बिल को लेकर गुर्जर समुदाय ने एक बार फिर विरोध के स्वर उठाये है। यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में समुदाय ने केंद्र सरकार से हाटी बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की है। समुदाय के नेताओं ने कहा कि हाटी समुदाय को दिया गया आरक्षण संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इस कारण गुर्जर समेत अन्य जनजातियों के हितों का हनन होगा। हाटी नाम के समुदाय का कोई सामाजिक अस्तित्व नहीं है, फिर उन्हें ट्राइबल कबीला कैसे घोषित किया जा सकता है।
नेताओं ने कहा कि आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार हाटी जाति या कबीला राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। फिर हाल ही में जारी नोटिफिकेशन को कैसे लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सिरमौर में उल्टी गंगा बहाई जा रही है। हाटी नेता अब कह रहे है कि राजस्व रिकॉर्ड को बदल कर हाटी समुदाय को दर्ज किया जाए, जो अनैतिक, असंवैधानिक और गैर कानूनी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोरसी गुर्जर समाज कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष हेमराज चौधरी, महासचिव सोमनाथ भाटिया, एवं किनशुक व स्वाभिमान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को एसटी में डालने वाले विधेयक को गुर्जर बकरवाल समुदाय के विरोध के बाद वापस ले लिया है। उसी तर्ज पर हिमाचल की जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए हाटी आरक्षण पर भी पुनर्विचार किया जाये।
उन्होंने कहा कि एसटी के कोटे में छेड़छाड़ नहीं की जाए। वर्तमान के प्रतिशत को यथावत रख श्रेणी से बाहर अन्य समुदाय को आरक्षण दिया जाये। उन्होंने कहा कि रसूखदार जातियों को घुमंतू जनजातियों के साथ एक ही श्रेणी में न रखा जाए। बराबरी के अधिकार और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इससे अनुसूचित जनजाति के संसाधनों और अवसरों पर विपरीत असर पड़ेगा और उन्हे फिर से पिछड़ेपन की तरफ़ धकेलेगा।