नाहन, 13 अक्तूबर : त्रिलोकपुर में एक सप्ताह से जारी श्रीमद् भागवत कथा शुक्रवार को संपन्न हो गई। कथा के अंतिम दिन कथा व्यास श्रीमद् परमहंस महामंडलेश्वर (जूना अखाड़ा) ने पितृ शांति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भागवत कथा करवाने या सुनने मात्र से ही पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इससे न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि उनको मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
कथा के आयोजक बाबूराम भारद्वाज ने बताया कि भागवत कथा के संपन्न होने पर पूर्ण आहुति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार श्रीमद् भागवत पुराण में सभी ग्रंथों का सार है। यही एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें भगवान की सारी लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है।
कहते है कि जब सौभाग्य का उदय होता है तब भागवत कथा सुनने को मिलती है। यह पावन ग्रंथ साक्षात भगवान का स्वरूप है। इसीलिए श्रद्धापूर्वक भागवत की पूजा की जाती है। इसको पढ़ने और श्रवण करने से मोक्ष सुलभ होता है। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है।
इस मौके पर माम चंद भारद्वाज, रजत भारद्वाज, योगेश कुमार, प्रमोद, पवन, संजीव, संभव आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।