नाहन, 23 सितंबर : राज्य व केंद्र सरकार अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) व अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उत्थान के लिए बड़े-बड़े कसीदे पढ़ती है। लेकिन यहां इन वर्गों से संबंध रखने वाली बेटियां, खुलेआम प्रताड़ित हो रही हैं, लेकिन सिस्टम के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसमें इन बेटियों का क्या कसूर है, अगर छात्रवृति घोटाले (scholarship scam) में संस्थान में अध्ययनरत छात्राओं को छात्रवृति नहीं मिल रही।
हैरान कर देने वाली बात ये है कि दो दिन से ये लड़कियां दर-ब-दर ठोकरें खा रही हैं, लेकिन न तो इन्हें सही मार्गदर्शन दिया गया और न ही न्याय। ऐन मौके पर आर्थिक (economic) रूप से कमजोर परिवारों से ताल्लुक रखने वाली ये छात्राएं लाखों की फीस कहां से लाएंगी। बता दें कि हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीटूशन्स (Himalayan Group of Professional Institutions) की इन छात्राओं को तृतीय वर्ष की परीक्षा से वंचित कर दिया गया है।
शनिवार को ये छात्राएं दूसरी बार उपायुक्त के दरबार में पहुंची। उपायुक्त द्वारा कल्याण विभाग (welfare department) से संपर्क करने को कहा गया। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। प्रबंधन एक तरफ कह रहा है कि छात्राओं ने पिछले दो वर्षों की फीस भी नहीं चुकाई है, वहीं इन छात्राओं का कहना है कि वो पिछले सालों की फीस अदायगी की रसीद दिखाने को भी तैयार हैं।
छात्राओं का आरोप है कि संस्थानों द्वारा आरक्षित वर्ग के छात्रों को टारगेट किया जाता है, क्योंकि संस्थानों को पता होता है कि फीस की अदायगी छात्रवृति से हो जाएगी। बाद में अलग-अलग तरीके अपनाकर वसूली शुरू कर दी जाती है। उल्लेखनीय है कि हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टियूशन्स कालाअंब करोड़ों के छात्रवृति घोटाले में फंसे संस्थानों की फेहरिस्त में है।
ये है मामला…
दरअसल, शुक्रवार तक संस्थान द्वारा जीएनएम (GNM) की तृतीय वर्ष की छात्राओं के परीक्षा फार्म भरे जाने थे, लेकिन संस्थान ने फीस अदायगी की शर्त लगा दी। बाकायदा एक प्रारूप छात्राओं को दिया गया, जिसमें ये मांगा गया कि 10 अक्तूबर तक फीस जमा करवा दी जाएगी। छात्राओं ने कहा कि सरकार से ही छात्रवृति जारी नहीं हो रही तो वो कैसे भुगतान कर सकती हैं। छात्राओं का आरोप है कि संस्थान चाहता है कि यदि छात्रवृत्ति न भी अदा हो तो वो अपनी जेब से फीस की अदायगी करें।
छात्राओं ने कहा कि पहले संस्थान द्वारा ये कहा गया था कि केवल साढ़े 11 हजार रुपए दाखिला फीस ही चुकानी होगी, शेष फीस स्कॉलरशिप (scholarship) से ले ली जाएगी। छात्राओं ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि ऐसी परिस्थिति पैदा होगी, अन्यथा वो दाखिले के वक्त ही संस्थान से लिखित तौर पर ले लेते। बता दें कि संस्थान के वाइस चेयरमैन विकास बंसल ने शुक्रवार को ही तमाम आदेश खारिज कर दिए थे।