शिमला, 28 अगस्त : हिमाचल प्रदेश की राजधानी में मानसून सीजन में हुई खौफनाक तबाही की वजह शहर का खराब ड्रेनेज सिस्टम औऱ कमज़ोर ढलानों में डंपिंग रही। प्रदेश सरकार ने खुद इस बात पर अपनी मुहर लगाई है।
राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने सोमवार को कहा कि पहाड़ी ढलानों में कटान, कमज़ोर ढलानों में मलबे का निष्पादन और अनियोजित जल निकासी व्यवस्था के कारण शहर में भारी बारिश के कारण अत्यधिक नुकसान हुआ है।
शिमला में भारी बारिश से हुए नुकसान के कारणों एवं प्रभावों के लिए गठित टीम के प्रारंभिक आकलन की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि इस वर्ष बरसात के दौरान प्रदेशभर में भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है।
मोबाइल पर सबसे पहले पाएं हिमाचल की ताजा खबरें, यहां क्लिक कर ज्वाइन करें हमारा WhatsApp Group
उन्होंने कहा कि शिमला में वर्ष 2022 में अगस्त माह में 514.30 मिलीमीटर की तुलना में इस वर्ष अब तक 552.1 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है। उन्होंने कहा कि आपदा संबंधित जोखिम को कम करने के लिए शहर में सुनियोजित और सुरक्षित निर्माण तथा जल निकासी की व्यवस्था पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। शहर में अनियोजित तरीके से निर्मित इमारतों को बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि निर्माण से निकलने वाले मलबे का सुरक्षित निपटारा कर समुचित जल निकासी व्यवस्था पर बल देना चाहिए। आपदा की दृष्टि से राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों का सघन आकलन किया जाना चाहिए। सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श भवन नियम अपनाने तथा इनके सख्ती से कार्यान्वयन पर भी बल दिया जाना चाहिए।
बता दें कि बीते 14 अगस्त को पहाड़ी से हुए भूस्खलन से शिमला का समरहिल शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया था। इस घटना में मंदिर में मौजूद 20 लोगों की मौत हुई। इसी दिन शहर के फागली इलाके में भूस्खलन की अन्य घटना में पांच लोगों की मौत हुई। इसी तरह लालपानी में स्लाटर हाउस के गिरने से दो लोगों की मौत हुई। भूस्खलन से शहर में 500 से अधिक पेड़ और कई घर धराशायी हुए।