नाहन, 12 अगस्त : आजादी के 76 साल बाद भी देश के लोग “शाही वंश” के सदस्यों के प्रति वफादारी और स्नेह का प्रदर्शन करते हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश 15 अप्रैल, 1948 को 33 रियासतों को मिलाकर अस्तित्व में आया था, जिसमें सिरमौर जैसे कुछ लोकप्रिय सामंती राज्य भी शामिल थे, जिसकी जड़ें देश के जागीरदार रियासत जयपुर से भी जुड़ी हैं। 1947 से पहले “सिरमौर” भी उत्तर भारत की सबसे बड़ी रियासतों में से एक हुआ करती थी।
13 से 15 अगस्त 2023 तक सिरमौर रियासत के “शाही महल” में कुछ खास होने जा रहा है। जयपुर के राजघराने की राजमाता पद्मिनी देवी ननिहाल पहुंच रही हैं। इस दौरान महाराजा लक्ष्यराज प्रकाश (सिरमौर), महाराजा पद्मनाभ सिंह (जयपुर) व राजकुमारी गौरवी कुमारी भी मौजूद रहेंगी। सिरमौर रियासत के शाही महल में 15 मई 2013 को एक खास समारोह हुआ था। इसे “राजतिलक” की संज्ञा की बजाय “मंगलतिलक” संबोधित किया गया। दोहते के मंगल तिलक के बाद राजमाता पद्मिनी देवी सार्वजनिक तौर पर “नाहन” नहीं आई थी, अलबत्ता लक्ष्यराज अवश्य आते रहे।
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बता दें कि बेशक ही राज परंपरा खत्म हुए अरसा हो चुका है, लेकिन राजपरिवारों (royal family) में परम्परायें बरकरार हैं। 13 अगस्त की शाम 4 बजे शाही महल (Royal Palace) में शहर की जनता को स्वागत के लिए आमंत्रित भी किया गया है। तीन दिन तक सायं 5 से 7 बजे तक लोगो से मिलने का भी कार्यक्रम है। महल पहुंचने पर राजवंश से जुड़े परिवारों का स्थानीय लोगों द्वारा भव्य स्वागत करने की तैयारी की जा रही है। उधर, सिटी पैलेस जयपुर (City Palace Jaipur) से करीब दो दर्जन स्टाफ सदस्य नाहन पहुंच चुके हैं। बारीक़ से बारीक़ तैयारी को अंजाम दिया जा रहा है।
सिरमौर रियासत के राजेंद्र प्रकाश (Rajinder Parkash) मूल संस्थापक के 1933 में उत्तराधिकारी(Successor) बने। 1964 तक सिरमौर रियासत के महाराजा के रूप में कार्य किया। उनके पर दोहते “लक्ष्य राज प्रकाश” को मंगल तिलक के बाद “सिरमौर रियासत” की गद्दी 9 साल की उम्र में सौंपी गई थी। बड़े भाई जयपुर महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह (Maharaja Sawai Padmanabh Singh) हैं। चूंकि 20 साल के लक्ष्य राज प्रकाश राजेंद्र प्रकाश की बेटी के वंशज हैं, इसलिए वह सिरमौर राजवंश के संस्थापक के सीधे पुरुष वंशज नहीं हैं।
सिरमौर रियासत के अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश दो बेटियों, नलिनी देवी और पद्मिनी देवी के पिता थे। पद्मिनी देवी का विवाह 1967 में जयपुर के महाराजा के बेटे भवानी सिंह से हुआ। कुल मिलाकर सिरमौर रियासत के “शाही महल” में शानदार रौनक रहने वाली है।