संगड़ाह, 6 अगस्त : हिमाचल प्रदेश स्कूल क्रीड़ा संघ जहां खेलो के क्षेत्र में नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है। वहीं देश के विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों (physical teachers) के खाली पड़े पद बाधक बन रहे हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल डीपीईज संघ के उपाध्यक्ष कपिल मोहन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि हाल ही में दिल्ली, (Delhi) भोपाल (Bhopal) और ग्वालियर (Gwalior) में संपन्न हुई स्कूली राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में प्रदेश के विद्यालयों में अध्ययनरत खिलाड़ियों द्वारा 3 स्वर्ण पदक, 4 रजत और 8 कांस्य पदक समेत 16 पदक जीतकर इतिहास रचा है।
प्रदेश में शारीरिक शिक्षकों के अभाव के कारण यहां के खिलाड़ी प्रशिक्षण से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी असमंजस की स्थिति तो तब पैदा हो गई जब शिक्षा विभाग द्वारा एसएमसी (SMC) के तहत रखे गए शिक्षकों को खेल प्रतियोगिताओं में न भेजने के आदेश जारी किए गए, जबकि प्रदेश में 103 डीपीईज एसएमसी के तहत लगे हैं। 2000 के करीब शारीरिक शिक्षकों एवं 500 के करीब डीपीईज के पद खाली हैं।
इसी कारण जिन विद्यालयों में एसएमसी पर डीपीई तैनात हैं। उन विद्यालयों के बच्चे चिंता में है कि इतनी मेहनत के बावजूद वे खेल प्रतियोगिताओं में भाग ले पाएंगे भी या नहीं। जिन प्रशिक्षकों ने पूरे वर्ष कड़ी मेहनत के साथ प्रशिक्षण दिया है, उनके बिना खेलों में सफलता पाना संभव नहीं है। बिना प्रशिक्षकों के सरकार का फिट इंडिया मूवमेंट (fit india movement) भी धरातल पर सफल होता नहीं दिखता।
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एसएमसी पर कार्यरत शिक्षकों को अभी तक सरकार द्वारा कोई भी टीए (TA) डीए (DA) का प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि एसएमसी पर कार्यरत डीपीई खेलों के प्रशिक्षण और खेल प्रतियोगिताओं को संपन्न करवाने में पिछले 10-12 सालों से सहयोग कर रहे हैं।
कपिल मोहन ने कहा कि हिमाचल में सुक्खू सरकार कर्मचारी हितैषी है और सरकार द्वारा कर्मचारियों के सभी हितों का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि एसएमसी शिक्षकों को सरकार द्वारा यात्रा भत्ता समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाए। खेल प्रतियोगिताओं को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए विभाग द्वारा एसएमसी पर कार्यरत शारीरिक शिक्षकों को प्रतियोगिता में न भेजने के आदेशों को वापस लिया जाए।