नाहन (शैलेंद्र कालरा): ऐसा माना जाता है कि अफसरशाही अगर शिद्दत से योजनाओं का क्रियान्वयन करे तो इलाके में विकास की बयार आ सकती है। सिरमौर का ट्रांसगिरि क्षेत्र अपने पिछड़ेपन को लेकर समूचे देश में जाना जाता है। अब शिलाई को बतौर एसडीएम 37 वर्षीय विकास शुक्ला एक ऐसे अधिकारी मिले हैं, जो न केवल हरफनमौला हैं, बल्कि दबंग भी हैं।
नतीजा यह हुआ है कि क्षेत्र के विकास को लेकर तीन महीने में ही ऐसे क्रांतिकारी कदम उठाए गए, जिसका फायदा लाखों की आबादी को मिल सकता है। हालांकि छुटभैये नेताओं के निशाने पर भी एसडीएम आए, लेकिन अपनी प्रभावशाली कार्यप्रणाली को लेकर लोगों का दिल जीतने में कामयाब हुए हैं।
2013 बैच के एचएएस अधिकारी विकास शुक्ला ने मई 2016 के पहले सप्ताह में कार्यभार संभाला था। इतने कम समय में ठोस कदम उठा लिए जाएंगे, इस बात का अंदाजा शायद किसी को नहीं रहा होगा। अपने कार्यालय में आम लोगों से मिलने के लिए कभी भी दरवाजे बंद नहीं करते हैं। एसडीएम से मिलने के लिए सीधी एंट्री है, किसी पर्ची की जरूरत नहीं है।
2005 की एचएएस की परीक्षा में मौजूदा एसडीएम दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके बाद उन्हें तहसीलदार पद पर नियुक्ति मिली। 2013 में शुक्ला का इंडक्शन एचएएस में हुआ।
जानें क्या उठाए गए बड़े कदम?
1. शिलाई की आबादी रिकॉर्ड में 1255 दर्ज थी। लिहाजा कस्बे को उन तमाम सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा था, जो शहरी कस्बों को मिलती है। एक माह के भीतर ही राजस्व रिकॉर्ड में दुरस्ती करने पर पाया कि शिलाई में असल तौर पर 12,777 लोग रह रहे हैं। तमाम औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं। लिहाजा कस्बा अब सीधे ही नगर परिषद बनने का पात्र हो गया है।
2. पहली बार यह सोचा गया कि कस्बे में अग्रिशमन केंद्र नहीं है। यहां पांवटा साहिब से फायर ब्रिगेड पहुंचती है। तब तक आग सब कुछ लील चुकी होती है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है।
3. हाल ही में मानव तस्करी के मामले में इतनी गहरी दिलचस्पी ली कि बकायदा अपने कोर्ट से आदेश पारित किए। बिलासपुर पहुंची इलाके की एक नाबालिग को न केवल बिलासपुर जिला से बरामद कर लिया गया, बल्कि आरोपी सलाखों के पीछे है।
4. शिलाई क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था सुचारू नहीं है। मजबूरन लोगों को मालवाहकों में जान जोखिम में डाल कर सफर करना पड़ता है। पहली बार शिलाई में परिवहन डिपो खोलने का प्रारूप तैयार किया गया है। इससे लगभग एक लाख की आबादी को फायदा मिल सकता है। उत्तराखंड की सीमा तक परिवहन सेवाएं सुदृढ़ होंगी।
5. शिलाई में स्वच्छता अभियान के तहत ठोस व तरल कचरे को लेकर एक अनोखा कार्यक्रम बनाया गया है। इसके तहत हर दुकानदार 60 रुपए प्रतिमाह देता है। जबकि घरों से 30 रुपए प्रतिमाह भुगतान होता है। इस राशि से ट्रैक्टरों को भाड़े पर लिया जाता है, जो इस कस्बे के ठोस व तरल कचरे को एकत्रित कर डंप करता है।
6. पहली बार शिलाई उपमंडल में ऐसा हुआ, जब 133 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई हुई। इसके तहत लगभग 2 लाख रुपए का जुर्माना सरकारी खजाने में जमा हुआ।
7. शिलाई के लिए पेयजल आपूर्ति को लेकर स्त्रोत की तलाश क्यारी गुंडाह पंचायत में की गई है। बकायदा प्रोजैक्ट तैयार कर लिया गया है। यहां तक की एसडीएम खुद इसकी फाइल लेकर आईपीएएच मंत्री विद्या स्टोक्स से मिले।
8. अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो शिलाई उपमंडल में ऐसी 50 हजार बीघा भूमि सरकार को वापस मिल जाएगी, जो 2001 के संशोधन के बाद जुमला मालकाना को चली गई थी। ऐसा हो जाने से क्षेत्र में विकास कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। यदि यह भूमि वास्तव में सरकार को वापस निहित हो जाती है तो उस सूरत में पूरे प्रदेश के लिए मिसाल कायम हो जाएगी।