कुल्लू (एमबीएम न्यूज़): रोजाना सुबह-सवेरे अपने घर व गौशाला का काम निपटाने के बाद दूध की भारी-भरकम बाल्टियां व कैनियां उठाकर कुल्लू शहर की ओर निकलना और फिर वहां दूध बेचने के लिए दर-दर भटकना। इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी दूध का उचित दाम नहीं मिलना और कई बार तो दूध खराब हो जाने से खाली हाथ ही घर लौट जाना।
दुग्ध उत्पादन के लिए मशहूर कुल्लू जिला की लगघाटी के पशुपालकों विशेषकर महिलाओं की दिनचर्या कुछ ऐसी ही थी लेकिन पिछले कुछ महीनों से हालात बदल गए हैं। क्योंकि घाटी की ग्राम पंचायत चैपाड़सा में मिड हिमालय जलागम विकास परियोजना की मदद से दुग्ध अभिशीतन संयंत्र स्थापित हो चुका है।
इस आधुनिक संयंत्र के स्थापित होने से घाटी के पशुपालकों को घर में ही दूध के अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्हें अब अपना दूध बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ रहा है और दूध खराब भी नहीं हो रहा है। जलागम परियोजना से मानों अब लगघाटी में विशेषकर ग्राम पंचायत चैपाड़सा में दूध की गंगा बहने लगी है।
दरअसल, जलागम परियोजना के अधिकारियों की प्रेरणा से ही चैपाड़सा पंचायत के लगभग डेढ़ सौ पशुपालकों ने हिम सुरभि हिमालयन दुग्ध समिति का गठन किया था। इन पशुपालकों को परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। इसके बाद समिति को पंचायत में ही दुग्ध अभिशीतन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया गया। इसी वर्ष मई में संयंत्र चालू भी कर दिया गया।
दुग्ध अभिशीतन संयंत्र में 1000 लीटर का बल्क मिल्क कूलर, खोआ बनाने की मशीन, पनीर प्रैसिंग मशीन, मिल्क एनालाइजर और अन्य आधुनिक मशीनें स्थापित की गई हैं। लगभग 8.60 लाख रुपये की लागत वाले इस संयंत्र के लिए जलागम परियोजना ने 75 प्रतिशत यानि लगभग 6.88 लाख का अनुदान दिया है, जबकि समिति ने अपनी ओर से मात्र 25 प्रतिशत धनराशि यानि 1.72 लाख रुपये का योगदान दिया है।
समिति के सचिव हेम सिंह ने बताया कि अभी इस संयंत्र में रोजाना सैकड़ों लीटर दूध आ रहा है और दुग्ध उत्पादकों को प्रति लीटर 22-23 रुपये दाम मिल रहा है। उन्होंने बताया कि संयंत्र में आधुनिक उपकरणों से दूध की जांच की जाती है और उसकी गुणवत्ता के आधार पर ही दाम तय किए जाते हैं। संयंत्र में एकत्रित दूध को ठंडा करके बाजार में भेजा जाता है। इसके अलावा संयंत्र में ही पनीर व खोआ भी तैयार किया जा रहा है। इन उत्पादों को बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हैं।
समिति द्वारा दूध 28 रुपये प्रति लीटर, पनीर 200 रुपये प्रति किलोग्राम और खोआ 220 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है। हेम सिंह ने बताया कि लगघाटी में दुग्ध उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए संयंत्र में जलागम परियोजना की मदद से कुछ अन्य आधुनिक मशीनें लगाने का भी प्रस्ताव है।
उन्होंने बताया कि यह संयंत्र लगघाटी के पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। दो महीनों में ही इसके सराहनीय परिणाम सामने आने लगे हैं। उनका कहना है कि जलागम परियोजना ने चैपाड़सा पंचायत ही नहीं, बल्कि समूची लगघाटी के पशुपालकों की तकदीर ही बदल दी है।
उधर, जलागम विकास परियोजना के समन्वयक एवं वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. रवि ठाकुर ने बताया कि परियोजना के विभिन्न संघटकों के अंतर्गत किसानों, बागवानों, पशुपालकों, युवाओं और महिलाओं को कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं और उन्हें जीविकोपार्जन के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो रही है और वे स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो रहे हैं।