सोलन, 12 जुलाई : ऐसा नहीं है, पहले बारिश नहीं होती थी। एक वक्त था, जब 7-7 दिन तक बारिश की झड़ी चलती थी। आशियाना व होटल के अलावा बहुमंजिला भवनों (multi-storey buildings) के निर्माण की होड़ ने सोलन के शामती में भी तबाही का मंजर दिखाया है। करीब 100 परिवार बेघर हुए हैं।
दरअसल, प्रथम दृष्टया में शामती (Shamti) के ठीक ऊपर पहाड़ पर बादल फटने से जल प्रलय आने की बात सामने आई थी। लेकिन वैज्ञानिक नजरिया कुछ और ही है। शामती में बेतरतीब भवनों का निर्माण हो गया। मूसलाधार बारिश से धरती में भूमिगत पानी का स्तर लगातार बढ़ता रहा। चूंकि पहले चश्मों व बावडियों (springs-stepwells) के अलावा नालों में ऐसी परिस्थिति में पानी का रिसाव हो जाया करता था। लेकिन भवनों के निर्माण से पानी को निकलने की जगह नहीं मिल रही थी। लिहाजा, पहाड़ों की दरारों से जगह बनाकर जब धरती का गुस्सा पानी के रूप में फूटा तो हर कोई सहम गया।
विशेषज्ञों (experts) का ये भी कहना है कि मूसलाधार बारिश में पानी का तेज बहाव धरती के ऊपर से निकल जाता है, लेकिन रिमझिम बारिश का पानी धरती में समाता रहता है। इस कारण जलस्तर (water level) बढ़ने लगता है। साथ ही पानी परंपरागत रास्तों को रिसाव के लिए ढूंढता है। परंपरागत निकासी न मिलने पर ऐसा मंजर भी सामने आ सकता है।
पहाड़ी के टॉप पर धरती में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हैं। ये तो गनीमत थी कि पहाड़ी के नीचे लाइम स्टोन के अलावा डोला माइट खनिज मौजूद हैं। ये पानी को सोखने में भी मददगार होते हैं। ऐसे खनिज न होने की सूरत में स्थिति और अधिक भयावह भी हो सकती थी। बताया गया कि जिन मकानों की नींव सही थी, उन घरों में दरारें नहीं आई हैं, लेकिन इन्हें भी खाली करवाना जरूरी है, क्योंकि साथ लगते घर के ढहने की सूरत में कंपन से ये घर भी गिर सकते हैं।
ये है तैयारी…
वैसे तो कुदरत के सामने तमाम कोशिशें बेमानी साबित हो सकती हैं, लेकिन प्रयास तो जारी रखने ही होंगे। एमबीएम न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक सोपिंग मूमेंट (sopping moment) की वजह से पहाड़ के टॉप पर तेज आवाज के साथ जलधाराएं पूरे वेग के साथ फूटी, जो मलबे को साथ लेकर रास्ता ढूंढ रही थी। विभाग ने ग्राऊंउ वाटर लेवल को कम करने के मकसद से फ्लाई एश व लाइम पाउडर का छिड़काव किया जाएगा। लेकिन इसके लिए भी शुष्क मौसम की आवश्यकता पड़ेगी। इसके अलावा विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि पहाड़ पर 5-6 बोर कर दिए जाएं, ताकि इस तरह की स्थिति पैदा होने पर नीचे वाटर लैवल कम करने के लिए बोर से पानी की निकासी की जा सके।
पहाड़ों में दरार की वजह….
शामती के टॉप पर पहाड़ों में लगातार दरारें बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि पानी निकासी का रास्ता ढूंढ रहा है। जिला खनन अधिकारी दिनेश कुमार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि दरारों को फ्लाई एश व लाइम पाउडर (fly ash and lime powder) से भरा जाएगा, ताकि मिट्टी ठोस हो सके। उनका कहना था कि टीम ने मौके का निरीक्षण करने के बाद उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपी है।
क्या होती है फ्लाई एश….
फ्लाई एश बारीक विभाजित रूप में पानी के मौजूद होने पर सामान्य तापमान में कैल्शियम-हाइड्रोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करके सीमेंट युक्त यौगिक बना लेती है। साधारण शब्दों में कहें तो दरार को भरने के लिए सीमेंट का काम करती है।
ऐसी आई थी शामत…
हालांकि, प्रशासन को पहाड़ों में दरार से तबाही का इल्म पहले से था, इस कारण निगरानी हो रही थी। घरों को खाली करवा लिया गया था। रविवार की रात हर कोई ये समझ रहा था कि बादल फटा है, लेकिन असल बात कुछ और ही थी। ये कयामत आसमान से नहीं, बल्कि धरती से आई थी। सोमवार को करीब दो दर्जन घरों के लोग अपना सामान उठाकर भीगी आंखों से पलायन कर रहे थे।
उधर, राज्यपाल (Governor) शिव प्रताप शुक्ला ने बुधवार को सोलन जिला के शामती में भारी वर्षा के कारण हुई क्षति का जायजा लिया। राज्यपाल ने जिला प्रशासन को उचित निर्देश जारी किए।उन्होंने शामती में भारी वर्षा के कारण हुए भूस्खलन से अवरूद्ध सोलन-राजगढ़ मार्ग (Solan-Rajgarh Road) का निरीक्षण किया