शिलाई/अंजू शर्मा : सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के टिटियाना गांव के सीधे-साधे मेहनती किसान व हंसमुख स्वभाव के व्यक्तित्व चंद्रमणि शर्मा दुनिया से विदा होकर भी किसी और के चश्मे-नूर बनकर संसार को देख सकेंगे। एक हृदय विदारक घटना में 18 जून को चंद्रमणि शर्मा घर में अचानक सीढ़ियों से नीचे गिर गए, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए। इमरजेंसी में चंद्रमणि शर्मा को सिविल अस्पताल पांवटा साहिब लाया गया, जहां से उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद पीजीआई रैफर किया गया।
पीजीआई में 2-3 दिन उपचार मिलने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं आ रहा था। 22 जून को उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा। डॉक्टरों के भरसक प्रयास के बाद भी घायल चंद्रमणि शर्मा को बचाया नहीं जा सका।
उनके देहांत के बाद परिवार से जब पूछा गया कि क्या वो अंगदान करना चाहते हैं… परिवार का प्रत्येक सदस्य कुछ पलों के लिए गहरी सोच में पड़ गया। भाई सुरेंद्र, कपिल व भतीजा संजू शर्मा ने भी विचार विमर्श शुरू किया। सामूहिक फैसला लेकर परिवार ने उनके नेत्र दान करने का निर्णय लिया। ताकि चंद्रमणि शर्मा की मौत के बाद किसी दुखियारे नेत्र पीड़ा से ग्रसित व्यक्ति को दुनिया देखने का अवसर मिले। मृतक की आंखें दुनिया से जाने के बाद भी संसार को देखती रहे।
हालांकि चिकित्सकों के सवाल का जवाब हां में देना परिवार के लिए पीड़ादायक था। मगर मानव सेवा की भावना से प्रेरित परिवार ने लंबे सोच-विचार के बाद हामी भर दी। साथ ही इस बात की परवाह नहीं की कि लोग क्या कहेंगे। पारिवारिक के मुताबिक वो अकसर ही लोगों की सेवा में लगे रहते थे। जब वह जीवित थे, तब उन्होंने सभी की मदद की। अब संसार से विदा होने के बाद भी वह लोगों के काम आ सके और सबके दिलों में बसे रहे।
बता दें कि घायल अवस्था में पीजीआई में दाखिल चंद्रमणि शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। नेत्र दान के बाद शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार पांवटा साहिब में ही किया गया।