चंबा, 14 जून : मोती लाल…उस समय 16 साल का था जब सिर से पिता का साया उठ गया। पिता के निधन के बाद निर्धन परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। मोती लाल को भी लगा की उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाएगी। लेकिन मां ने हार नहीं मानी और मनरेगा में मेहनत-मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया। जिसका नतीजा ये हुआ कि बेटा आज कॉलेज कैडर (college cadre) का अस्सिटेंट प्रोफेसर (assistant professor) बन गया। बेटे ने मां के सपने को साकार कर दिखाया। मोतीलाल चंबा जिले की टेपा पंचायत के द्रडोगा गांव का रहने वाला है। मोती लाल राज्य लोक सेवा आयोग (HPPSC) द्वारा आयोजित परीक्षा को पास कर राजनीति शास्त्र में असिस्टेंट प्रोफेसर बने है।

आपको बता दें कि 16 साल की आयु में मोतीलाल के पिता का निधन हो गया था। परिवार की सारी जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई। मां ने परिवार के पालन-पोषण के साथ साथ मनरेगा में मेहनत-मजदूरी कर अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है। मोती लाल ने प्रारंभिक शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बैरागढ़ से ग्रहण की। धर्मशाला से बीए करने के बाद शिमला विश्वविद्यालय में एमए और पीएचडी की। परीक्षा उत्तीर्ण करने से परिवार में खुशी का माहौल है। इस मुकाम तक पहुंचाने में मोती लाल ने मां का सबसे बड़ा श्रेय दिया है।
उन्होंने कहा कि मां यदि मुझे पढ़ाने के लिए मेहनत नहीं करती तो यह मुकाम हांसिल करना संभव नहीं था। मोती लाल ने कहा कि बचपन से ही उनका अध्यापक बनने का सपना रहा है।