शिमला,12 जून : हिमाचल की सुखविंदर सरकार ने निराश्रितों के लिए सुखाश्रय कोष योजना शुरू की है। इस योजना के तहत निराश्रितों के लिए सरकार ने 101 करोड़ का सुखाश्रय फंड स्थापित किया है। सरकार के साथ ही समाज के अन्य वर्ग भी सुखविंदर सरकार की इस योजना में अपना सहयोग दे रहे हैं। वहीं नगर निगम के कांगनाधार से कांग्रेस पार्षद राम रतन वर्मा ने अपना पूरा मानदेय सुखाश्रय कोष में देने का ऐलान कर दिया है।
सोमवार को राम रतन वर्मा नगर निगम कार्यालय पहुंचे जहां पर महापौर सुरेंद्र चौहान को पत्र लिखकर अपना मानदेय ना लेने की बात कही और इस मानदेय को सीधे सुखाश्रय कोष में देने का आग्रह किया। इससे पहले नगर निगम के महापौर और उपमहापौर ने भी अपने एक माह का मानदेय सुखाश्रय कोष में दे चुके है। वहीं अन्य पार्षद भी इस कोष में अपना सहयोग दे रहे हैं।
नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि पार्षद राम रतन वर्मा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सुखाश्रय योजना से काफी प्रभावित है। उन्होंने अपना पूरा मानदेय सुखाश्रेय कोष में देने की बात कही है। पार्षदों को सात हजार हर माह मानदेय बनता है। जोकि 5 साल का मानदेय 4 लाख पच्चीस हजार के करीब बनता है।
इसके अलावा अन्य पार्षदों ने भी अपना एक माह का मानदेय सुखाश्रय कोष में दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने निराश्रितों के लिए सुखाश्रय योजना शुरू की है। पुनीत कार्य के लिए सभी को आगे आना चाहिए और अपना सहयोग देना चाहिए।
वहीं, पार्षद राम रतन वर्मा ने कहा मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना चलाई है। इससे प्रभावित होकर अपना सारा मानदेय सुखाश्रय कोष में देने के लिए महापौर के लिए पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री को भी पत्र भेज दिया है, और जब तक वे पार्षद रहेंगे एक भी रुपए नहीं लेंगे सारा मानदेय सुखाश्रय के लिए पत्र दे दिया है। उन्होंने कहा कि ये योजना अनाथ बच्चों के लिए चलाई है। ऐसे में समाज के सभी लोगो का का दायित्व बनता है। सभी को सहयोग करना चाहिए। ऐसे बच्चों के पालन पोषण में काफी मुश्किलें आती हैं। इन बच्चों के लिए पैसा काम आएगा।