नाहन, 05 मई : सिरमौर के गिरीपार(Giripar) क्षेत्र के युवा प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। इस वजह से युवाओं को सकारात्मक परिणाम भी हासिल हो रहे हैं। चंद रोज पहले हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) द्वारा कॉलेज का कैडर (College Cadre) के इतिहास विषय के सहायक आचार्य के पदों का अंतिम परिणाम जारी किया गया। खास बात यह है कि गिरीपार क्षेत्र में ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले युवाओं ने इस परीक्षा में 5 के 5 पदों पर कब्जा कर लिया। हालांकि ओबीसी (OBC) समूचे राज्य में मौजूद हैं, लेकिन सिरमौर के रिमोट इलाकों में रहने वाले ओबीसी युवाओं ने कमाल का परिणाम दिया है। इसके अलावा गिरिपार के राजगढ़ उपमंडल की बेटी कविता चौहान भी केमिस्ट्री में कॉलेज कैडर की असिस्टेंट प्रोफेसर बनी है।
देवराज
पांच भाइयों में सबसे छोटे 24 वर्षीय देवराज ने परीक्षा को उत्तीर्ण कर परिवार को गौरवान्वित किया है। शिलाई के कांडों गांव में बहादुर सिंह व जग्गो देवी के घर जन्मे देव राज ने 10वीं तक की पढ़ाई भगाणी स्कूल में पूरी की। इसके बाद पांवटा साहिब डिग्री कॉलेज (Paonta Sahib Degree College) से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) से इतिहास विषय में एमए की पढ़ाई पूरी की। सबसे छोटे भाई की सफलता में चार भाइयों का भी अमूल्य योगदान है। परिवार से देवराज पहले व्यक्ति हैं, जो सरकारी नौकरी लेने में सफल हुए हैं। मात्र 24 साल का युवक जल्द ही सरकारी महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य शुरू करेगा। हालांकि साफ नहीं है, लेकिन इतनी कम उम्र में कॉलेज कैडर का सहायक प्रोफेसर बनना असाधारण उपलब्धि है।
कल्याण सिंह
शिलाई उपमंडल के लाणी गांव से ताल्लुक रखने वाले कल्याण सिंह मात्र 26 साल की उम्र में कॉलेज कैडर के सहायक प्रोफेसर बन गए हैं। 9 वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान माता का निधन हो गया था। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से B.Ed की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन इसी दौरान पिता का निधन होने की वजह से कल्याण सिंह को B.Ed की पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी। 8 भाई और बहनों में सबसे छोटे कल्याण पर जिम्मेदारियां आ गई। इसी बीच दिन-रात मेहनत करने के बाद सरकारी विभाग में क्लर्क की नौकरी हासिल करने में सफल हुए। इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) से एमए पूरी की। भाई दिन-रात दिहाड़ी करते रहे ताकि कल्याण को परीक्षा की तैयारी में कोई विघ्न का सामना न करना पड़े। वह दिन आया जब हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने कल्याण सिंह को सफल घोषित किया।
कृष्णदत्त
28 साल के कृष्ण दत्त का संबंध भी शिलाई उपमंडल के लाणी गांव से कृषक पिता के घर जन्मे कृष्ण दत्त मौजूदा में कोटि बोंच स्कूल में इतिहास के पीजीटी(PGT) के पद पर कार्यरत हैं। बड़ा भाई भी कॉलेज कैडर में राजनीति शास्त्र विषय में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत है। बचपन से ही कृष्ण दत्त का लगाव अध्यापन कार्य में था। बड़े भाई की सफलता के बाद कृष्ण दत्त को भी लक्ष्य प्राप्ति में मदद मिल गई। भाई ने कृष्ण दत्त का मार्गदर्शन किया।
पूनम कुमारी
संगड़ाह उपमंडल के बाउनल गांव की पूनम कुमारी ने एक खास इबारत लिखी है। 10 व 5 साल के बेटों की परवरिश के साथ-साथ पूनम ने सफलता अर्जित की है। एसएमसी (SMC) के आधार पर टीजीटी आर्ट्स पूनम की शादी 2013 में हो गई थी। इसके बावजूद पूनम ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल करने में कोई कोर कसर छोड़ी, बल्कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2 परिवारों को गौरवान्वित किया है। पूनम कुमारी का कहना है कि ससुराल पक्ष का पूरा सहयोग मिला, इसी कारण वह यह नतीजा लेकर आ पाई है।
यशपाल शर्मा
शिलाई उपमंडल में बकरास एक रिमोट इलाका है। हालांकि इस इलाके तक सड़क पहुंच चुकी है, लेकिन एक वक्त था जब इस इलाके को काला पानी भी कहा जाता था। 25 साल के यशपाल शर्मा ने सफलता की इबारत लिखी है। पिता मुंशीराम पर 6 बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी। लिहाजा वह आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं थे कि तमाम बच्चों को पढ़ाई के लिए संतोषजनक आर्थिक सुविधा उपलब्ध करवा सके। क्योंकि यशपाल के दो बड़े भाई भी कॉलेज कैडर के सहायक आचार्य बन चुके थे। लिहाजा यशपाल को न केवल मार्गदर्शन बल्कि आर्थिक सुविधा की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। बकरास से जमा दो की पढ़ाई करने के बाद यशपाल नगरोटा बगवां चले गए। बड़े भाई ने ही यशपाल की जिम्मेदारी को निभाया। मुंशीराम व छूमा देवी की खुशी का ठिकाना इस बात को लेकर नहीं है कि तीनों ही बेटे उच्च शिक्षा अलख जगाने के लिए कॉलेज कैडर में सहायक आचार्य बने है।