पांवटा साहिब – किसानों की आवश्यकताओं के आधार पर वैज्ञानिक योजनाएं बनाएं तथा शोध कार्यों को करें। यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र, धौलाकुंआ में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की 34वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय परियोजना निदेशक क्षेत्र-1 डॉ0 ए0एम0 नरुला ने कही। उन्होने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को अपने फीडबैक मैकेनिज्म को बेहतर करने की बहुत जरुरत है ताकि वैज्ञानिक व कृषि विश्वविद्यालय किसानों की जरुरतों के आधार पर शोध कार्यों को कर सकें। साथ ही उन्होने कहा कि यहां की भोगौलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए छोटे व सीमान्त किसानों की जरुरतों के आधार पर योजनाएं बननी चाहिए ताकि छोटे से छोटे किसान को लाभ मिल सके। साथ ही कहा कि आधुनिक खेतीवाडी के औजार केवीके के माध्यम से किसानों तक पहुंचे इसके लिए केवीके को प्रचार प्रसार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्होने कहा कि आज के दौर में फल नर्सरी में स्वरोजगार की अच्छी संभावनाएं हैंए इसके लिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया। उन्होने बताया कि आज देश में कृषि से युवाओं का रुझान कम होता जा रहा है जो एक चिन्ता की बात है। इसके लिए उन्होने बताया कि आर्य नामक एक प्रोजैक्ट तैयार किया है जिसके माध्यम से युवाओं को खेतीवाडी से जोडने की योजना है। उन्होने किसानों की समस्याओं व समाधान पर प्रतिवर्ष एक पुस्तिका प्रकाशन करने का भी सुझाव दिया ताकि इन पर कार्य किया जा सके। इस बैठक के विशेष अतिथि चै0स0कु0कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर व डॉ0वाई0एस0परमार वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व कुलपति प्रो0 जगमोहन चैहान ने कहा कि खेतीवाडी व पशुपालन से संबंधित नई तकनीकों को दूरदराज के क्षेत्रों में पहुचानें में कृषि विज्ञान केन्द्रो की अहम भूमिका है तथा किसान काफी हद तक केवीके पर निर्भर भी रहते हैं। उन्होने कहा कि आज भी 80 प्रतिशत शोध लोगों तक नहीं पहुुंच पाता हैए इस पर केवीके व कृषि वैज्ञानिकों को ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होने कहा कि किसानों व वैज्ञानिकों के बीच समय-2 पर आपसी चर्चा परिचर्चा होती रहनी चाहिए ताकि किसानों की समस्याओं की जानकारी वैज्ञानिकों तक पहुंच सके। निदेशक अनुसंधान कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर डॉ0 सूर्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि आज किसानों की पुरानी फसलों को संरक्षण जरुरी है। उन्होने रोहडू के एक किसान की लालधान फसल के पंजीकरण का हवाला दिया तथा बताया कि इस दिशा में प्रदेश के अन्य चार पांच किसानों की फसलों के पंजीकरण की प्रक्रिया जारी हैए ताकि किसानों को इसका सीधा लाभ मिल सके। इससे पहले बैठक में पिछले छः महीनों की गतिविधियों पर चर्चा की गई तथा आगामी छः माह के लक्ष्य भी निर्धारित किए गए। बैठक में निदेशक प्रसार शिक्षा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर डॉ0 वाई0एस0पॉल, विस्तार परिषद सदस्य रवि स्वरुप, प्रभारी केवीके डॉ0के0के0 चडडाए विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी तथा प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।
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