ऊना, 12 जनवरी : बेटा 6 माह पहले ही छुट्टी लेकर घर आया हुआ था। अब फरवरी माह में पुन: छुट्टी लेकर आने वाला था। इन छुट्टियों के दौरान मेरी आंखें चैक करवाने का वादा किया था। लेकिन ये सुनकर विश्वास ही नहीं हो रहा कि बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। ये बात रोते-बिलखते शहीद हवलदार अमरीक सिंह के पिता ने कही। बेटे की शहादत की खबर के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है।
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में पेश आए सड़क हादसे में शहीद हवलदार अमरीक सिंह के घर गणु मंदवाड़ा में सन्नाटा पसरा रहा। अमरीक सिंह के पिता धर्मपाल, बड़े भाई अमरजीत सिंह, छोटे भाई हरदीप सिंह और रिश्तेदारों को ही उसके शहीद होने की खबर है, जबकि पत्नी रूचि और बेटा अभिनव इस बात से अभी बेखबर हैं। पत्नी व बेटे को सिर्फ इतना ही मालूम है कि अमरीक सिंह का जम्मू में एक्सीडेंट हुआ है, जो कि अस्पताल में उपचाराधीन है।
हवलदार अमरीक सिंह की शहादत की खबर मिलने पर रिशतेवार व अन्य लोग गणु मंदवाड़ा पहुंच रहे हैं, लेकिन सभी को घर से करीब 100 मीटर स्थित दुकान से वापस लौटाया जा रहा है, ताकि पत्नी व बेटे को खबर का पता न चल पाए। अमरीक सिंह के छोटे भाई हरदीप सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह उनकी सेना के अधिकारियों से फोन पर बात हुई। अधिकारियों का कहना है कि कुपवाड़ा में बर्फीला तूफान चल रहा है। इस वजह से शहीद की पार्थिव देह गणु मंदवाड़ा भेजने में देरी हो रही है। सेना के अधिकारियों ने मौसम खुलने पर ही शव भेजने की बात कही।
रोते बिलखते हुए पिता ने कहा कि रोजाना रात को बेटा वीडिय़ो कॉल के जरिए बात करता था। मेरी बेटे से तीन दिन से बात नहीं हुई, जबकि अन्य परिवारिक सदस्यों से जरूर बात हुई थी।
बता दें कि गणु मदवाड़ा के 39 वर्षीय हवलदार अमरीक सिंह की मंगलवार देर शाम जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए सड़क हादसे में शहीद हो गए। अमरीक सिंह 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। वह जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर में तैनात थे। अमरीक सिंह 2001 में 14 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। वह 3 भाइयों में मझले थे। वह अपने पीछे माता ऊषा देवी, पिता धर्मपाल सिंह, पत्नी रूचि और बेटा अभिनव को छोड़ गए हैं।