शिमला (एमबीएम न्यूज़): हिमाचल की सियासत में इन दिनों सूबे के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के तूफानी दौरे करना चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले तीन-चार हफतों का यदि मुख्यमंत्री की टूअर प्रोग्राम की डायरी पर नजर डालंे, तो पता लगेगा कि हाल ही में मुख्यमंत्री न केवल शिमला जिले के दूरदराज क्षेत्रों बल्कि सोलन जिला के क्षेत्रों, चंबा जिला के जनजातीय और किन्नौर जिला के पिछड़े क्षेत्रों तथा सिरमौर और कांगड़ा जिलों के दौरे कर चुके हैं।
वैसे तो मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकार से विस्तृत दौरे करने की कोई नई बात नही है। बल्कि वीरभद्र सिंह पहले भी इस प्रकार के दौरे कर चुके हैं। जिनकी जानकारी वीरभद्र सिंह को तथा प्रदेश के लोगों को है। आजकल जो दौरे वो कर रहे हैं, लोगों की जरूरतों तथा कमियों को जानते हुए हर प्रकार की घोषणाएं भी कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर परमार से लेकर ठाकुर रामलाल, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल भी मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन छटी बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह ने लगभग हर दूरदराज क्षेत्रों का दौरा किया है।
उनका यह विश्वास है कि जिस प्रकार से लोगों को प्रदेश के हर वर्ग की ओर से उन्हें प्रेम, प्यार, आस्था तथा विश्वास मिला है। वह भी दौरों के माध्यम से यह दिखाना चाहते हैं कि उनको प्रदेश की जनता से भी उतना प्यार और विश्वास है तथा आज वह जो हैं, उन्हीं की वजह से हैं। लेकिन जिस प्रकार से नई उर्जा को संचित करके उन्होंने पिछले एक महीने से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के दौरों की राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही के दौरों के दौरान न केवल करोड़ों रूपये की परियोजनाओं के शिलान्यास किए, पर कई करोड़ रूपये की योजनाओं की घोषणाएं भी की हैं। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के अनुसार शिक्षा संस्थाओं का स्तरोन्नत भी किया और नई संस्थाओं की भी घोषणाएं कीं।
मुख्यमंत्री के इन दौरों को लेकर भाजपा नेताओं ने कई प्रकार से अपनी भौहें चढ़ा ली हैं और विपक्ष के नेता न केवल भयभीत हैं, बल्कि उनके मनों में कई तरह की आशंकाएं भी पैदा होने लगी हैं। उनको यह संभावना भी सताने लगी है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री तुफानी दौरे कर रहे हैं और कई तरह की घोषणाएं कर रहे हैं, जैसे विधानसभा चुनाव निकट हों। वीरभद्र सिंह की इन दौरों के दौरान कई प्रकार की विकास योजनाओं की घोषणा उनके विधानसभा चुनाव के पूर्व कई दौरों की याद दिलाते हैं। वैसे तो मुख्यमंत्री हमेशा से यह कहते आ रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव समय पर ही होंगे। लेकिन समय बदलते तथा राजनीतिक परिदृश्य बदलते देर नहीं लगती।
भाजपा तथा अन्य विपक्षी दलों के दिलों में आशंका है कि मुख्यमंत्री अगले साल विधानसभा चुनाव करवा सकते है। प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य का जायजा लिया जाए तो ऐसा कुछ नहीं लगता कि विधानसभा चुनाव समय से पहले मुख्यमंत्री करवा सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस पूर्ण बहुमत में है और उनके नेतृत्व में विधायकों को पूरा विश्वास है। लेकिन एक बात जरूर है कि भाजपा तथा प्रदेश के अन्य दल चुनावी रंग में अपने आपको पूरी तरह से ढाल चुके हैं और समय से पूर्व चुनाव का सामना करने की तैयारी में लग गए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश विधानसभा के चुनाव या फिर पंजाब के साथ चुनाव कराने की घोषणाएं कर सकते हैं।