शिमला,16 दिसंबर : खुफिया जानकारी लीक मामले में एनआईए (NIA) जांच की जद में आए आईपीएस अरविंद दिग्विजय नेगी (IPS Arvind Digvijay Negi) की सेवा को हिमाचल सरकार ने बहाल कर दिया है। एनआईए से गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। मुख्य सचिव आरडी धीमान की ओर से वीरवार देर शाम उन्हें बहाल करने के आदेश जारी हुए हैं। उन्हें राज्य पुलिस मुख्यालय में ज्वाइनिंग देने के निर्देश दिए गए हैं।
अरविंद दिग्विजय नेगी के लिए यह बहुत बड़ी राहत की बात है। किन्नौर जिला से ताल्लुक रखने वाले नेगी 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। बीते साल छह नवंबर को एनआईए ने एक मामले में नेगी को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला संदिग्ध गतिविधियों की साजिश और इसे अंजाम देने में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबंधित संगठन के सक्रिय सदस्यों के नेटवर्क के प्रसार के आरोपों से जुड़ा है।
अहम बात यह है कि नेगी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान एनआईए में तैनात थे। खुफिया सूचना लीक मामले में विवाद के बाद उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस हिमाचल भेजा गया था। उन्हें एसडीआरएफ जुन्गा (SDRF Junga) में कमांडेंट लगाया गया था। जहरीली शराब मामले की विशेष जांच टीम में भी नेगी शामिल रहे हैं।
बता दें कि नेगी साल 2017 में हिमाचल प्रदेश के पहले ऐसे पुलिस अफसर बने, जिन्हें नामी एजेंसी में सराहनीय कार्य के लिए प्रेसिडेंट पुलिस मेडल मिला था। उन्होंने जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अलगाववादियों की टेरर फंडिंग से जुड़े कई मामलों का भंडाफोड़ किया था।
दिग्विजय नेगी ने कश्मीर में पत्थरबाजों पर नकेल कसने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह साल 1998 में हिमाचल प्रदेश में डीएसपी के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्होंने शिमला में डीएसपी ट्रैफिक के तौर पर भी सेवाएं दी हैं। शिमला में ही तैनाती के दौरान अरविंद दिग्विजय नेगी ने इशिता तेजाब कांड को भी सुलझाया था।