नाहन (एमबीएम न्यूज): बिजली उपभोक्ताओं के बिलों से जुड़ा एक अहम सवाल आम आदमी पार्टी द्वारा उठाया गया है। अगर आरोप सही हैं तो उपभोक्ताओं को बोर्ड द्वारा चूना लगाया जा रहा है। राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा कथित अनाधिकृत तरीके से दो प्रकार के चार्जिज वसूले जा रहे हैं। इसमें पहला है मीटर रैंट। बोर्ड ग्राहकों को कनैक्शन देते वक्त दो ऑप्शन देता है। इसके मुताबिक ग्राहक अपना मीटर खुद खरीद सकता है। दूसरा बिजली बोर्ड मीटर उपलब्ध करवाता है।
यदि ग्राहक मीटर खरीदता है तो उसे मीटर टैस्टिंग लैब से टैस्ट करवाना होता है। अलबत्ता इन झंझटों से झुटकारा पाने के लिए उपभोक्ता बोर्ड से ही मीटर लगवाना उचित समझते हैं। इस स्थिति में बोर्ड द्वारा ग्राहक से 15 से 30 रुपए मासिक रैंट वसूला जाता है। मीटर की कीमत 400 से 500 रुपए होती है। यहां गौरतलब बात यह भी है कि केवल घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की बात की गई है। कमर्शियल कनैक्शन में तो मीटर रैंट भी अधिक होता है। साथ ही दरें भी महंगी होती हैं। लेकिन बोर्ड द्वारा इस रैंट की वसूली कभी भी बंद नहीं की जाती। अब अगर इस बात का ऑडिट हो कि किस उपभोक्ता से कितना अतिरिक्त रैंट वूसला गया है तो संभवत: बोर्ड की देनदारी करोड़ों में बन सकती है।
राज्यपाल को भेजे गए ज्ञापन में आम आदमी पार्टी ने मीटर की कीमत पूरी होने पर वसूली बंद करने की मांग की है। इसके अलावा दूसरे तरीके से हर महीने उपभोक्ता से 50 रुपए प्रतिमाह सर्विस चार्ज वसूल किया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर बिजली उपभोक्ताओं की इतनी खपत नहीं होती है कि उनसे सर्विस चार्ज या मीटर रैंट वसूला जाए। बोर्ड-उपभोक्ता के बीच एग्रीमैंट के मुताबिक रैगुलेटरी कमीशन द्वारा तय दरों का ही भुगतान ग्राहक को करना होता है, फिर सर्विस चार्ज क्यों। आम आदमी पार्टी ने साफ किया है कि अगर सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो बोर्ड के खिलाफ मजबूरन हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाएगा।
उधर बिजली बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में मीटर की कीमत 900 से 1500 रुपए के बीच है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 30 साल पहले मीटर की कीमत क्या रही होगी। फिर 30 साल पुराने उपभोक्ताओं से क्यों मीटर रैंट व सर्विस जार्च वसूला जा रहा है।