नौहराधार, 11 अक्टूबर : जिला के बर्फ से प्रभावित क्षेत्र नौहराधार, हरिपुरधार, गताधार, शिलाई क्षेत्र के चांदपुर, संगडाह, राजगढ़ आदि क्षेत्र में सर्दियों के लिए पशुपालक अपने पशुओं के लिए चारा इक्क्ठा करते है। सितंबर माह में चारा कटाई का कार्य शुरू होता है। मगर इस वर्ष बरसात लेट तक रहने के चलते घास की कटाई अक्टूबर माह में शुरू की गई थी। जिन लोगों ने घास की कटाई की है, उनका घास अब सड़ने की कगार पर है।
पशुपालकों की मेहनत व कटाई के लिए लगा या पैसे का शुद्ध नुकसान हो चुका है। जिससे पशुपालकों को आगे चारे की कमी रहने की चिंता सता रही है। वहीं किसानों की लगाई गई मटर की फ़सल पहले ही भारी बारिश के चलते 70 फीसदी खत्म हो चुकी है। अब रही सही कसर इस बारिश ने पूरी कर दी है। लगता है अब किसानों को मटर, खाद दवाइयों के पैसे भी वापस नही मिल सकते। बता दे कि जिला सिरमौर के ऊपरी क्षेत्रों में मात्र दो माह में तैयार होने वाली मुख्य नकदी फसल मटर का भारी मात्रा में किसान उत्पादन करते है, और दाम भी हरे मटर का अच्छा मिलता है।
वहीं, भारी बारिश से मटर की फसल में सड़न रोग लग गया है। मात्र 30 फीसदी ही मटर की फसल बची थी। सोमवार रात से भी लगातार भारी बारिश ने बची कुची फसल को भी नुकसान पहुंचा दिया है। जिससे खेत में मटर पौधे का तना जो होता है, वह काला पड़ जाता है। पूरा पौधा ऊपर से पत्ते में पीले पन के साथ खराब हो रहा है।
गौरतलब है कि एक हजार हेक्टेयर पर किसानों ने बिजाई की है। कृषि विभाग संगडाह द्वारा ही किसानों को करीब 60 क्विंटल मटर का बीज 80 रुपए प्रति किलो सब्सिडी पर वितरित किया गया है। बाज़ार से किसानों ने यह पेनिसिलिन बीज 130 से 150 रुपए किलो खरीद कर बुवाई की है।
क्षेत्र के किसान सोमदत्त, संजय चौहान, राजेन्द्र सिंह, आत्मा राम, विनोद कुमार, अत्तर सिंह, राजेश पुंडीर, आदि का कहना है कि पहले ही इस बार लहसुन के वाजिब दाम नहीं मिले। उम्मीद थी कि मटर की फसल से यह भरपाई पूरी होगी पर एक सप्ताह से हो रही लगातार बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। इस समय करीब 60 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। यही नही क्षेत्र में अन्य फसल मुली, धनिया, फूल की खेती पर भी इस बारिश का नकारात्मक असर पड़ा है। किसानों ने कृषि विभाग व सरकार से फसल के उचित मुआवजे की मांग की है।
उधर, कृषि विभाग संगडाह के अधिकारी प्रदीप कुमार ने इस बारे में बताया कि लगातार बारिश मटर की फसल के लिए नुकसानदायक है। धूप का होना भी जरूरी है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि अगर मौसम सही रहता है तो वेबस्टीन, डायथेन एम, स्टेप टो साक् ईलीन का छिड़काव करने की सलाह दी है