नाहन, 08 अक्तूबर : शहर में आवारा पशुओं की संख्या बढ़ रही है। नगर परिषद पर इन्हें पकड़ने का दबाव बढ़ा। प्रशासनिक व्यवस्था में नगर परिषद ने बेजुबानों को श्मशानघाट के समीप एक स्टोरनुमा फाटक में कैद तो कर दिया, लेकिन इन्हें भूखे-प्यासे मरने की सजा दे दी है।
बता दें कि शहर में भाजपा शासित नगर परिषद शासन कर रही है। करीब तीन दर्जन से अधिक गौवंश को कैद कर दिया गया है। विडंबना ये है कि ये बेजुबान पहले खुद के लिए खाना तलाश कर लेते थे। लेकिन अब नगर परिषद के कर्मचारियों की रहमत पर हैं। पता चला है कि नगर परिषद ने गायों को घास देने के लिए दो कर्मचारी रखे हुए हैं, लेकिन चारा नाकाफी था।
कीचड़नुमा गोदाम में कैद किए गए बेजुबानों के हलक भी सूखे रहते हैं, क्योंकि समय पर पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं करवाया जाता। चारे के लिए पशुओं में आपस में झड़प भी हो जाती है, इस कारण कुछ पशु जख्मी भी हैं।
हैरान करने वाली बात ये है कि नाहन नगर परिषद के पास सैंकड़ों बीघा भूमि पर मालिकाना हक है, लेकिन एक स्थायी काउ सेंचुरी बनाने का विजन नहीं है। शनिवार दोपहर हिन्दू जागरण मंच के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर एक छोटे से हाॅल में ठूंस-ठूंस कर कैद किए गए बेजुबान जानवरों का मामला उठाया तो नगर परिषद भी हरकत में आई। कुछ कर्मचारी मौके पर पहुंचे, तसल्ली दी गई कि बैलों को शिफ्ट किया जाएगा।
अहम बात ये भी है कि कैद किए गए कुछ पशुओं के गले में टैग भी बंधे हुए हैं, जो इस बात की ट्रेकिंग कर सकता है कि इनके असल मालिक कौन हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि पशुओं को लाचार छोड़ने वाले मालिकों के खिलाफ भी नगर परिषद सख्त कदम उठाने में परहेज कर रही हैै।
उधर, नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय तोमर ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। पशुपालन विभाग ने पशुओं को रखने के लिए तत्काल व्यवस्था करने को कहा था। इस मामले को लेकर भी पशुपालन विभाग से समन्वय स्थापित किया गया है, उचित कदम उठाए जाएंगे।