शिमला (एमबीएम न्यूज़) : एचआरटीसी समन्वय समिति के बैनर मांगें कर्मचारियों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एचआरटीसी कर्मचारियों ने आज शिमला स्थित निगम के प्रदेश मुख्यालय के समक्ष विशाल धरना दिया और सरकार व निगम प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
समिति ने दावा किया कि धरने-प्रदर्शन में 5 हजार कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। इसमें सीधे तौर पर चेतावनी दे दी गई है कि मांगों को पूरा न किए जाने पर बड़े आंदोलन का आगाज किया जाएगा। कर्मचारियों ने 14 जून को 48 घंटे की हड़ताल पर जाने का फैसला लिया।
परिवहन समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष पवन गुलेरिया ने कहा कि प्रदेश सरकार एवं एचआरटीसी प्रबंधन कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने की अपेक्षा उनके प्रति टालमटोल का रवैया अपना रहा है, जिससे एचआरटीसी में दिन रात कठोर परिश्रम करने वाले हजारों कर्मचारियों को प्रबंधन व सरकार के रवैये से खिन्न होकर 14 जून को प्रदेश स्तरीय 48 घंटे की हड़ताल की जाएगी। इस हड़ताल के दौरान परिवहन कर्मी काम पर नहीं जाएगा तथा एचआरटीसी की बसें खड़ी रहेंगी।
गुलेरिया ने कहा कि उनकी मांगों पर सरकार जरा भी गंभीर नहीं है। दो माह पहले समिति की तरफ से निगम को 12 सूत्रीय मांग पर सौंपा गया था। लेकिन आज तक इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। निगम व सरकार के नकारात्मक रवैया के कारण परिवहन कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एचआरटीसी कर्मचारियों की मांगों व समस्याओं को हल नहीं किया तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन पूरे प्रदेश में और अधिक तेज किया जाएगा।
एचआरटीसी चालक यूनियन के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि परिवहन कर्मियों की मांगें हल हों, इसलिए हड़ताल पर जाने के सिवाय अन्य कोई रास्ता हमारे पास नहीं है।
धरने में शामिल परिवहन मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों की मुख्य मांगों में एचआरटीसी को रोडवेज का दर्जा देने, भर्ती-पदोन्नति नियमों के तहत नियुक्तियां, सेवानिवृतों को पेंशन देना, पुनःरोजगार को खत्म करना तथा न्यूनतम वेतन की अधिसूचना को लागू करना आदि शामिल हैं।