नाहन (संध्या कश्यप): माननीय ट्रांसपोर्ट मंत्री बाली जी, आपने जेएनआरयूएम के तहत दो बसें नाहन डिपो भिजवाई हैं, लेकिन इन बसों का क्या करें। बेहतर होता कि इन बसों को भेजने की बजाय 42 सीटर बसें भेज देते, जिससे जनता को कुछ फायदा तो मिलता क्योंकि इन बसों की लंबाई 12 मीटर होने के कारण यह बसें यहां नहीं चल सकती हैं। शायह यह बात एचआरटीसी वर्कशॉप में बेकार खड़ी इन बसों को देखकर हर किसी के जहन में उठ रही होगी।
सूत्र बताते हैं कि इन बसों की खरीद पर 50 से 60 लाख रुपए खर्च किए गए। एक तरफ एचआरटीसी घाटे की दुहाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह के क्रियाकलापों से मुनाफे की उम्मीद नहीं की जा सकती। बताते हैं कि इन बसों के इस्तेमाल के लिए एचआरटीसी परेशानी में है। मजेदार बात यह है कि इन बसों को खरीदने से पहले इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया कि पहाड़ी राज्य में इस तरह की बसों का क्या औचित्य है। हैरानी इस बात पर भी है कि इतनी लंबी बसों में महज 36 सवारियों के ही बैठने की व्यवस्था है। उधर क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव बिष्ट ने माना कि एक-डेढ़ महीने से इन बसों का इस्तेमाल नहीं हो पाया है। अलबत्ता उन्होंने कहा कि इन बसों को पांवटा साहिब-नालागढ़-ऊना चलाने का प्रस्ताव है। इस रूट पर बसों को चलाया जा सकता है। लेकिन परमिट न मिलने के कारण मामला लटका हुआ है।