शिमला, 13 अगस्त : हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की कर्ज लेने की सीमा को बढ़ा दिया है। इसके लिए मानसून सत्र के अंतिम दिन शनिवार को विधानसभा में एफआरबीएम अधिनियम संशोधन विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया।
हालांकि विपक्ष ने अधिनियम में संशोधन का विरोध करते हुए सताधारी भाजपा सरकार पर फिजूलखर्ची, अधिकारियों के लिए मंहगी गाड़ियां खरीदने और सरकारी खजाने से पार्टी के कार्यक्रम आयोजित करने के आरोप लगाए।
विपक्षी नेताओं द्वारा संशोधन में उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। उन्होंने राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के लिए कांग्रेस को यह कहते हुए, जिम्मेदार ठहराया कि प्रदेश में अधिक समय तक कांग्रेस का शासन रहा है।
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटा 4.23 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2016-17 में 4.70 प्रतिशत पर पहुंच गया। जबकि हम इसे वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2.99 पर लाने में कामयाब रहे हैं। कहा कि हमारी उधार सीमा अधिनियम के तहत तीन प्रतिशत तय की गई है, इसलिए हम इससे अधिक होने की स्थिति में संशोधन कर रहे हैं।
इससे पहले सदन में पेश किए गए संशोधन पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर लग्जरी वाहन, हेलीकॉप्टर खरीदकर और मेगा इवेंट आयोजित कर फिजूलखर्ची करने का आरोप लगाया। अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार पर केंद्र की मोदी सरकार से कर्ज माफी या वित्तीय पैकेज लेने में विफल रहने का भी आरोप जड़ा और कहा कि भाजपा नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश को कर्जमुक्त करने का दावा किया था। लेकिन आज स्थिति उल्टी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्य को दिवालिया होने के कगार पर धकेल दिया है, जिससे भविष्य में किसी भी सरकार के लिए राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार करना मुश्किल होगा।