पांवटा साहिब – आज महिलाएं जहां समाज के प्रत्येक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं तो वहीं पर्यावरण व वनों के संरक्षण के साथ-साथ अवैध कटान से बचाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। यही कुछ कर दिखाया है जिला सिरमौर के पांवटा उपमंडल के तहत गिरिपार क्षेत्र की ग्राम पंचायत अंबोया व सालवाला की महिलाओं ने। लगभग डेढ़ दशक पूर्व जहां अंबोया गांव की दस महिलाओं ने महिला पर्यावरण एवम वन सुरक्षा समिति बनाकर लगभग 60-65 हैक्टेयर भूमि में 50-55 हजार पौधे रोपित कर बंजर व उजाड पडी वन भूमि को हरा-भरा बना दिया तो वहीं इन्ही महिलाओं से प्रेरणा लेकर एक वर्ष पहले ही सालवाला गांव की भी 24 महिलाओं ने नागराज महिला वन समिति बनाकर कंडेला की 25 हैक्टेयर वन भूमि में लगभग 27 हजार पौधे रोपित कर दिए हैं। आज पांवटा वन मंडल के तहत इन महिलाओं के यह प्रयास न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे प्रदेश भर में न केवल चर्चा का बिन्दु है बल्कि लाखों लोगों के सामने एक मिशाल भी कायम की है। आज इन्ही महिलाओं से प्रेरणा लेकर इस क्षेत्र में विभिन्न वन समितियां विशेषकर महिलाएं पर्यावरण को बचाने व वनों के संरक्षण के लिए नितदिन आगे आ रही हैं। जब इस संबंध में महिला पर्यावरण एवम वन सुरक्षा समिति अंबोया की प्रधान श्रीमति कमला देवी से बातचीत की तो उनका कहना है कि रोपित पौधों को बचाने के लिए उन्हे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक तरफ जहॉं पुलिस केस तक भुगतने पडे़ तो दूसरी तरफ चोरी इत्यादि के इल्जाम भी सहने पड़े। लेकिन इस समूह की सभी दस महिलाओं ने इन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया तथा सहनशीलता दिखाकर वह अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ती रहीं। उनका कहना है कि समूह की महिलाओं ने रात-रात भर जागकर पौधों को बचाया तथा जंगल में अवैध कटान व चरान करने वालों को कई बार रंगंे हाथों भी पकड़ा। इस दौरान उन्होने जंगलो को नुकसान पहुंचाने वालों को समय-समय पर पकड़ा तथा उनसे दरांती, रस्सी, कुल्हाड़ी इत्यादि भी भारी संख्या में एकत्रित की हैं। इस संबंध में समूह की सचिव श्रीमति सुमित्रा देवी का कहना है कि अब तक उन्होने गांव की लगभग 60-65 हैक्टयर भूमि को हरे भरे जंगल में तबदील किया है। जंगल में जामुन, ऑंवला, हरड़, बम्बू, भेड़ा इत्यादि जैसी जड़ी बूटियों के अलावा वसूटी, कड़ीपत्ता, ग्लोबेल, बच्छ, लेमन ग्रास, कचनार इत्यादि के पौधे भी लगाए हैं। उनका कहना है कि उनके समूह द्वारा अब तक 50-55 हजार पौधे लगाए गए हैं जिनमें से अधिकतर कामयाब हुए हैं। जब इसी संबंध में नागराज महिला वन समिति सालवाला की प्रधान सुनीता देवी व सचिव परमीता देवी से बातचीत की तो उनका भी यही कहना है कि आज समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों का तो जमकर उपयोग कर रहा है, लेकिन इनके संरक्षण व पौधा रोपण की तरफ कोई ध्यान नहीं है। जिसके कारण आज बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने जैसी समस्याओं से लोगों को जूझना पड रहा है। इस समूह की महिलाओं ने किंकरी देवी द्वारा जिला में पर्यावरण संरक्षण के लिए जो लडाई लडी थी आज उन्होने भी उनके प्रयासों से प्रेरणा लेकर अपने आसपास के पर्यावरण के संरक्षण की तरफ यह एक पहल की है। उनसे जब इस संबंध में पारिवारिक सहयोग के बारे में पूछा तो उनका कहना है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सहयोग मिला है, जिनकी बदौलत आज वह अपने इस समाज के पुनीत कार्य में सफल हो पाई हैं। इस समूह की महिलाओं का आम लोगों से यही कहना है कि वह वनों के संरक्षण के लिए आगे आएं तथा हर वर्ष अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने में सहयोग करें। साथ ही उनका वन विभाग व प्रदेश सरकार से भी कहना है कि इस तरह के सामाजिक कार्य करने वाली महिलाओं को समाज में स्थापित व प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए जिसमें महिलाओं को वन उत्पादों से जोडकर तथा इस दिशा में प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी आर्थिकी को भी मजबूत किए जाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहना है कि वन विभाग जंगलों को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोडने के लिए भी धरातल स्तर पर प्रयास करे जो अभी तक नहीं दिखता है। उनका कहना है कि विभागीय अधिकारी इस दिशा में यदि महिलाओं को प्रेरित करने के लिए कोई साकारात्मक पहल करे तो हर वर्ष करोडों खर्च कर रोपित किये जाने वाले पौधों की सुरक्षा में समाज आगे आ सकता है। बस जरुरत है तो विभागीय आंकडों के मकडजाल से बाहर निकलकर कुछ सृजनात्कता से सोचने की।
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