कुल्लू (एमबीएम न्यूज): हिमाचल प्रदेश भारत के प्रमुख सेब उत्पादक राज्यों में से है। इस राज्य में फलों की अर्थव्यवस्था लगभग 3500 करोड़ रु. प्रतिवर्ष की है। अकेले सेब ही इसमें 89 प्रतिशत योगदान देते हैं एवं इनका अधिकांश उत्पादन शिमला, कुल्लू, मंडी, लाहौल एवं स्पिति, किन्नौर एवं चंबा जिलों में होता है। लेकिन मौसम की तेजी से बदलती स्थितियों के चलते हिमाचल प्रदेश में सेब का उत्पादन प्रभावित हुआ है। न केवल इस फल की उत्पादकता बल्कि इसकी गुणवता भी प्रभावित हुई है। पिछले साल की 80 फीसदी फसल सेब के औसत आकार से छोटी थी। फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ‘सेब पुनरोत्थान परियोजना’ भी प्रारंभ की।
मौसम बदलाव की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेब उत्पादक मधुमक्खियों पर भरोसा कर रहे हैं, जो प्राकृतिक पॉलिनेटिंग एजेंट हैं एवं सेब के बागों में उनका प्रयोग कई गुना बढ़ गया है। सेब उत्पादक राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब एवं उत्तरप्रदेष से मधुमक्खियों के छत्ते मंगवा रहे हैं लिहाजा मधुमक्खी पालन पर्वतीय खेती में अहम हिस्सा बन रहा है। क्योंकि मधुमक्खियां अपनी पॉलिनेटिंग सेवाओं के द्वारा फसल की उत्पादकता बढ़ाने एवं जैवविविधता को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
हिमाचल प्रदेश में मैनेज्ड पॉलिनेटिंग की सेवा न केवल सेब उत्पादकों बल्कि बी-कीपर्स की आय एवं खाद्य सुरक्षा भी बढ़ा रही है। राज्य के बागवानी विभाग के अनुसार बी-कीपिंग एवं शहद का उत्पादन 2005-2006 में 800 मीट्रिक टन से बढ़कर वर्तमान में 1515.29 मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। नौणी विष्वविद्यालय के वाइंस चांसलर डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि हम सेब के पॉलिनेशन के लिए बी-कीपिंग के सकारात्मक प्रभावों के प्रदर्शन के लिए ऑनफार्म रिसर्च करते हैं। इस अभियान को सहयोग प्रदान करने के लिए सेब उत्पादन क्षेत्रों में विशेष जागरूकता कार्यक्रम लांच किया है।
ऑल इंडिया हन्नी व पॉलीनेटर्स के रिसर्च प्रोजेक्ट समन्वयक डा0 आर के ठाकुर ने कहा, ‘‘पॉलिनेटर्स सेब के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए यह जरूरी है कि बी-मैनेजमेंट पर किसानों की क्षमताएं एवं जागरुकता बढ़ाई जाए। फसल की उत्पादकता बढ़ाने एवं बनाए रखने के लिए पॉलिनेटिंग सेवाओं की सतत सप्लाई आवश्यक है। विश्व में सबसे बड़े समर्पित एग्रीबिजनेस के रूप में ‘‘सिंजेंटा’’ यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि पॉलिनेषन के लिए जरूरी मधुमक्खियां विकसित होती रहें। कंपनी देश में कई पॉलिनेटर अभियान चला रही है।
सिंजेंटा ने हाल ही में लुधियाना और करनाल में अपना ‘हाईव्स ऑन फार्म्स’ अभियान चलाया। इस दिशा में ‘‘सिंजेंटा’’ के विशेष कार्यक्रमों को कुल्लू एवं शिमला जिलों के किसानों के लिए बनाया गया है, ताकि पॉलिनेशन संरक्षण एवं पॉलिनेशन मैनेजमेंट पर उनकी जागरुकता बढ़ाई जा सके। डॉ. केसी रवि, वाईस प्रेसिडेंट, कमर्शियल एक्सेप्टेंस एवं पब्लिक पुलिस, सिंजेंटा साउथ एशिया ने बताया, ‘‘यह प्रोग्राम कई पॉलिनेटर अभियानों में से एक है, जिन्हें सिंजेंटा पूरे विष्व में अपने ऑपरेशन पॉलिनेटर एवं गुड ग्रोथ प्लान के तहत सपोर्ट करता है। इस प्रोग्राम के द्वारा सिंजेंटा ने हाईव्स ऑन ईट्स फॉर्म्स जैसे स्थापित अभियान एपीएसी क्षेत्र के कई हिस्सों में चलाए हैं।
सिंजेंटा साउथ एशिया कम्युनिकेशंस एवं ब्रांडिंग मैनेजर कनुप्रिया सैगल ने कहा, ‘‘हरियाणा एवं पंजाब में हमारे हाईव्स ऑन फार्म्स की सफलता देखते हुए, जहां हमने सरकार, बी-कीपर्स, किसानों एवं वैज्ञानिकों सहित सभी स्टेकहोल्डर्स को एक मंच पर पेश किया, सिंजेंटा ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च, डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एण्ड एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर की इकाई ऑल इंडिया को-ऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट (हनी बी एवं पॉलिनेटर्स) के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए, ताकि कुल्लू एवं शिमला जिलों में बी-कीपिंग के महत्व पर किसानों को प्रशिक्षित किया जा सके।’’