कुल्लू (एमबीएम न्यूज): आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी का जन्म दिवस हर वर्ष कि भांती संस्था इस बार भी कुल्लू में 13 मई को धूमधाम से मनाएगी। ‘तेरा मैं’ के रूप में उनके अनुयायियों द्वारा हर वर्ष इस दिवस को मनाया जाता है।
रविशंकर जी का जन्म 13 मई 1956 को तमिलनाडु के पापनासम में हुआ था। उन्होंने मात्र चार साल की उम्र में श्रीमद भागवत कथा को कंठस्थ कर लिया था। उनके पिता वैकंट रत्नम पेशे से व्यापारी थे। बालक शंकर को आध्यात्मिक संस्कार मां विशालाक्षी से मिला। रविवार के दिन पैदा होने के कारण उनका नाम पहले रवि रखा गया। बाद में शंकराचार्य के प्रति पारिवारिक आस्था के कारण वह रविशंकर कहलाने लगे। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित शहर शिमोगा में श्री श्री रवि शंकर 10 दिन के लिए मौन में चले गए।
उसके उपरांत जन्म हुआ सुदर्शन क्रिया का, जो एक शक्तिशाली श्वास प्रणाली है। समय के साथ सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ लीविंग की मुख्य केंद्र बिंदु बन गई। श्री श्री रवि शंकर ने आर्ट ऑफ लीविंग की स्थापना एक अंतर्राष्ट्रीय लाभ निरपेक्ष, शैक्षिक एवं मानवतावादी के तौर पर की। इसके शिक्षात्मक और आत्मविकास संबंन्धी कार्यक्रम तनाव मिटाने और कुशल मंगल की भावना उत्पन्न करने के शक्तिशाली साधन प्रदान करते हैं। ये प्रणालियां केवल किसी खास जन समुदाय को ही नहीं आकर्षित करती, बल्कि ये विश्वव्यापी रूप से समाज के हर स्तर पर प्रभावशाली सिद्ध हुई हैं।
आर्ट ऑफ लीविंग के मीडिया को-ऑर्डिनेटर डॉ. गौरव भारद्वाज ने बताया कि आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में संस्था द्वारा लगभग 100 व्यक्तियों को गुरूजी द्वारा ईजात की गई सुदर्शन क्रिया सिखाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 4 मई से गोयल भवन शमशी, 10 मई से सुबह व शाम के समय कुल्लू में अखाड़ा बाजार के गुरुद्वारा तथा मनाली में 10 मई से तिब्बतियन कम्युनिटी हॉल वार्ड नंबर 7 में छह दिवसीय बेसिक हैप्पीनेस कार्यक्रम करवाएं जाएंगे, जिनमें लगभग 100 के करीब प्रतिभागियों को सुदर्शन क्रिया के साथ योग सिखाया जाएगा।
उन्होंने बताया यदि कोई भी व्यसक व्यक्ति महिला अथवा पुरुष इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहता है तो वह 94180-50080 वह 98164-83965 दूरभाष नम्बर पर कॉल करके अपने आपको पंजीकृत करवा सकता है। इसके साथ इस वर्ष 13 मई को संस्था द्वारा कुल्लू में बाबा बालक नाथ मंदिर टिकरा बावड़ी में महा सत्संग के साथ रात्रिभोज का भी आयोजन किया जाएगा।