सोलन (शैलेंद्र कालरा): 2008 में एक ऐसा वक्त आया, जब केेंद्रीय अनुसंधान संस्थान (CRI) कसौली का लाईसेंस रद्द कर दिया गया था। लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि संस्थान का स्वर्णिम युग आया है। रविवार को देश में 50 करोड़ की लागत से पहली करंट गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस (cGMP) प्रयोगशाला का उदघाटन इस संस्थान में केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने किया।
संस्थान में वैज्ञानिकों से बातचीत करते केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा।मंत्री ने आश्वस्त किया कि इस प्रयोगशाला में कर्मचारियों, अधिकारियों व उपकरणों की कमी नहीं होने दी जाएगी। इस प्रयोगशाला के बनने से केंद्र सरकार को डीपीटी व टीटी इंजेक्शन के उत्पादन में मदद मिलेगी। सबकुछ ठीकठाक रहा तो इस संस्थान में पीले बुखार के टीके का उत्पादन भी संभव हो पाएगा, जिसकी सप्लाई अफ्रीकन व लेटिन अमेरिका के देशों में की जाएगी। संस्थान को बने 111 वर्ष हो चुके हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में भी इस संस्थान ने बहुमूल्य सेवाएं दी।
नड्डा ने कहा कि अब यह संस्थान देश में टीटी व डीपीटी दवाओं के उत्पादन के लिए भी अपनी विशेष पहचान बनाएगा। नड्डा ने यह भी कहा कि सार्वभौमिक टीकाकरण (UIP) कार्यक्रम में भी संस्थान की अहम भूमिका है। नड्डा ने कहा कि संस्थान में रैबीज व टायफाइड की दवाओं का भी उत्पादन होगा। इस प्रयोगशाला के बनने से कई तरह के अनुसंधान भी संभव हो सकेंगे। संस्थान के विस्तारीकरण के मकसद से 128 बीघा भूमि के अधिग्रहण का मामला भी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके बाद जीवन रक्षक एंटी सिरम का उत्पादन भी होगा।
नड्डा ने कहा कि संस्थान द्वारा सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जाएगा, जो कौशल विकास में मददगार होगा। इस कोर्स को पूरा करने वाले युवाओं की भूमिका अनुसंधान में होगी। प्रयोगशाला के उदघाटन के दौरान जेपी नड्डा ने संस्थान की वैबसाइट को भी लांच किया। सनद रहे कि देश में लांच की गई रोटा वायरस दवा की टैस्टिंग भी यह संस्थान करेगा। उल्लेखनीय है कि इसी संस्थान द्वारा स्नेक बाइट, रैबीज व पीला बुखार की दवाओं का उत्पादन किया जाता है, जिसकी सप्लाई समूचे देश में होती है।