शिमला 03 मई : ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करने की दृढ़ इच्छा हो, उसके लिए मजदूरी अथवा वेतन ज्यादा मायने नहीं रखते हैं। ऐसा ही एक जीवन्त उदाहरण है पूर्णिया राम, जोकि मशोबरा ब्लाॅक की आखिरी पंचायत पीरन में बीते दस वर्षों से बतौर जल रक्षक कार्यरत हैं।
यदि आप इनकी दिहाड़ी को पूछे तो आप चौंक जाएंगे, परंतु पूर्णिया राम को कम दिहाड़ी मिलने का कोई मलाल नहीं है। इनका उद्देश्य केवल अपने कार्य को ईमानदारी से करना है, ताकि पीरन गांव में कोई भी परिवार प्यासा न रहे।
बता दें कि पूर्णिया राम को वर्तमान में केवल 3600 रुपए मानदेय प्रतिमाह मिलता है, जिसकी एवज में प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे ड्यूटी जाते हैं। अर्थात 120 प्रतिदिन पर आठ घंटे कार्य करते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इतनी कम सैलरी होने के बावजूद पूर्णिया राम ने शायद ही बीते 10 वर्षों में कभी रविवार का अवकाश अपने घर पर काटा हो। प्रातः आठ बजे घर से खाना खाकर आते हैं और शाम को घर पहुंचकर ही खाना खाते हैं।
हाथ में रैंच लिए पूर्णिया राम प्रातः 9 बजे पानी के स्त्रोत पर पहुंच जाते हैं और पानी छोड़ने के उपरांत पूरे गांव का दौरा करते हैं कि पानी सभी घरों में आ रहा है अथवा नहीं। जलापूर्ति होने के उपरांत पूर्णिया राम पुनः जलस्त्रोत पर जाकर टैंक को बंद करते हैं। दोपहर बाद तीन बजे इनके द्वारा गांव में पुनः जलापूर्ति की जाती है। इनकी कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए स्थानीय लोग इन्हे कमांडो कहकर पुकारते हैं, जिससे पूर्णिया राम को कार्य करने की ऊर्जा दोगुना हो जाती है।
पूर्णिया राम ने बताया कि वर्ष 2012 में जब उन्होने जल शक्ति विभाग में नौकरी शुरू की थी तो उन्हें केवल 1350 रुपए मिलते थे, जोकि अब बढ़कर 3600 रुपए प्रतिमाह हो गए हैं।
बताया कि पीरन गांव में पानी के करीब 60 पानी के कनेक्शन हैं परंतु कई बार लोग पाईप लाईन में कपड़ा इत्यादि फंसा देते हैं, जिससे उनको सारी पाइप लाइन उखाड़नी पड़ती है और दोगुना कार्य बढ़ जाता है। इनका कहना है कि 3600 रुपए में उनके परिवार का खर्चा बेहतरीन ढंग से चल रहा है। अब रेगुलर होने का इंतजार है कि कब उन पर सरकार मेहरबान होगी।
कनिष्ठ अभियंता जेएसवी कोटी उप मंडल राजकुमार शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा जल रक्षकों को पंचायतों में पानी को छोड़ने व बंद करने इत्यादि कार्य के लिए तैनात किए गए हैं। इस वर्ग को नियमित करना सरकार के विचाराधीन है।