सुंदरनगर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर असिस्टेंट प्रोफैसर समेत क्लर्कोंं को पहुंचाया सलाखों के पीछे
मंडी, 25 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की जेओए (आईटी) छंटनी परीक्षा (Screening Test) में गूगल (Google) की मदद से 30 से 45 मिनट के अंदर ही आंसर की (Answer Key) तैयार कर दी गई। इसके लिए फुलप्रूफ प्लानिंग (FullProor Planning) हुई। लेकिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी (Policeman)धनीराम को परीक्षा केंद्र में संदिग्ध गतिविधियों (suspicious activities)का आभास हुआ।
यकीन मानिए, सीटिंग प्लान से बुकलेट सीरीज (booklet series) तक प्लानिंग की गई थी। बारीकी से की गई प्लानिंग में कैंडीडेट तक सवालों के जवाब को कैसे पहुंचाना है, इसका भी एक खाका तैयार किया गया था।
पुलिस कर्मी के शक से हैरतअंगेज मॉडस ऑपरेंडी (amazing modus operandi) का चंद घंटों में ही भांडाफोड़ हो गया। सुंदरनगर पुलिस पूरी रात ही इस केस पर वर्किंग करती रही। 7 गिरफ्तारियां कर ली गई हैं, 10 मोबाइल फोन जब्त हुए हैं। संगठित तरीके से वारदात को अंजाम दिया जा रहा था, लेकिन उसी उम्मीदवार की बॉडी लैंग्वेज (body language) न एक शातिर कोशिश को विफल कर दिया।
दिलचस्प बात ये है कि तमाम आरोपी करीबी हैं, कुछ तो रिश्तेदार भी हैं। जांच में ये भी सामने आया है कि निजी शिक्षण संस्थान में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफैसर (assistant professor) ने मुख्य भूमिका निभाई है।
ये था मॉडस ऑपरेंडी…
सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज (Maharaja Lakshman Sen Memorial College) में परीक्षा केंद्र (Examination Center) बनाया गया था। ये कहानी, परीक्षा केंद्र में रूम नंबर 206 की है। सबसे पहले 42 साल के कैंडिडेट राकेश से पूछताछ शुरू होती है। पुलिस ने इनविजीलेटर (invigilator) द्वारा जब्त की गई चिटिंग शीट या उत्तर कुंजी से ही जांच की शुरुआत की। चंद मिनटों में ही राकेश पुलिस के सामने टूट गया।
खुलासा हुआ कि गोपाल ने परीक्षा के शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र (Question Paper) उपलब्ध करवाया था। गोपाल की डयूटी परीक्षा केंद्र में बतौर उप केंद्र अधीक्षक (center superintendent) के तौर पर थी। इस योजना के किरदार (character) एमएलएसएम कॉलेज के क्लर्क विक्की, विवेक, जोगिंद्र, अनिल ठाकुर व बलवंत बने।
बलवंत ने इस बात का पता लगाया था कि सीटिंग प्लान के मुताबिक राकेश को बुकलेट की ‘बी’ सीरीज मिलेगी। इसकी सूचना राकेश ने गोपाल को दी। बता दें कि गोपाल की बतौर उप केंद्र अधीक्षक एक अन्य परीक्षा केंद्र में डयूटी थी। सूचना मिलते ही गोपाल ने परीक्षा केंद्र के आईटी रूम (IT Room) में प्रश्नपत्र के पैकेट की सील तोड़ दी।
फौरन ही ‘बी’ सीरीज की बुकलेट की सीरीज की फोटो क्लिक कर राकेश को व्हाट्सएप कर दी। राकेश ने प्रश्नपत्र को हल करने के लिए आगे फारवर्ड (Forward) कर दिया, ताकि इसकी आंसर की को तैयार किया जा सके। इसके लिए पहले से ही प्रपत्र तैयार किया गया था।
आंसर की को जोगिंद्र के माध्यम से एमएलएसएम कॉलेज भेजा गया। इसे बलवंत के सुपुर्द कर दिया गया। बलवंत रूम नंबर 206 में पहुंचा, जहां उसने राकेश को बाहर आने का इशारा किया। राकेश को शौचालय में आंसर शीट सौंप दी गई। लेकिन हड़बड़ाहट व बॉडी लैंग्वेज (body language) से इनविजीलेटर ने आंसर की (चिटिंग शीट) को पकड़ लिया। परीक्षा केंद्र में मौजूद पुलिस को इसकी सूचना दी गई। यहीं से पूरा खेल बिगड़ गया।
ये गिरफ्तार…
खास बात ये है कि पुलिस ने 12 घंटे के भीतर ही नकल के इस संगठित प्लान का पर्दाफाश कर दिया। आरोपियों की पहचान बल्ह तहसील के रहने वाले 42 वर्षीय राकेश कुमार पुत्र तवरसू राम, सरकाघाट तहसील के 45 वर्षीय गोपाल दास पुत्र गरीब दास, ऊना की बंगाणा तहसील के 44 वर्षीय बलवंत सिंह पुत्र सोमनाथ, बल्ह तहसील के 37 वर्षीय जोगिंद्र कुमार पुत्र हरि राम, बल्ह तहसील के ही 26 वर्षीय संजीव कुमार उर्फ विक्की पुत्र राजेंद्र सिंह व 25 वर्षीय विवेक उर्फ विक्की पुत्र पन्ना लाल व धर्मपुर तहसील के 26 वर्षीय अनिल ठाकुर पुत्र नानक चंद के तौर पर हुई है।
ये बोली एसपी…
पत्रकारवार्ता में एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि परीक्षा केंद्र में किसी भी तरह के मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया गया। पहले सीटिंग प्लान का पता लगाया गया। इसके बाद सवालों के जवाब कैंडिडेट तक पहुंचाने की प्लानिंग हुई।
उन्होंने कहा कि आरोपी राकेश ने अपने ही एक अन्य साथी अनिल ठाकुर को भी जवाब साझा किए थे। ये भी सामने आ रहा है कि परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले ही प्रश्नपत्र की तस्वीर खींच ली गई थी।