नाहन – उतराखंड के केदारनाथ में तबाही का मंजर देख वापिस लौटे सिरमौर जिला के कालाअंब के रहने वाले 4 दोस्तों ने अपने घर वापिस पहुंचकर तबाही से जुडे कई अहम खुलासे किए है। कालाअंब से बाइक पर सवार होकर केदारनाथ दर्शन के लिए निकले इन 4 दोस्तों को क्या मालूम था कि केदारनाथ में उन्हें किस तरह तबाही से जूझना पडेगा। अपनी जान बचाकर तो यह वापिस पहुंच गए मगर इनकी दोनों बाइकें पानी में बह गई। इन दोस्तों में एक पूरी तरह से विकलांग है मगर तीनों दोस्तों ने अपनी जान की परवाह किए बिना विकलांग साथी को इस मुसीबत की घडी से बचा निकाला। इस एहसान को शायद ही यह दोस्त कभी भुला पाएगा । इनके मुताबिक 16 जून की शाम करीब 7 बजे वहां स्थानीय लोगों ने पहले ही सभी श्रद्धालुओं को अलर्ट कर दिया था कि भारी बारिश होने वाली है मगर इतनी तबाही का किसी को अंदाजा नहीं था मात्र आधे घंटे के भीतर सब कुछ तबाह हो गया। लोगों की सिर्फ चीखने की आवाजे ही पूरी केदारनाथ घाटी में सुनने को मिल रही थी। हर कोई अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर दौड रहे थे। आधे घंटे तक पूरे ईलाके में चीख पुकार की आवाजें गूंजती रही। अगली सुबह चारों तरफ लाषों के ढेर नजर आ रहे थे। जिस होटल में शाम को वो खुद घटना के समय ठहरे हुए थे वो होटल भी सुबह मलबे में तब्दील हो गया था। उन्होनें बताया कि वहां तीन दिनों तक कोई सहायता तबाही से प्रभावित लोगों को नहीं मिली। लाशों के बीच हजारों बचे लोगों को अपना समय बिताना पडा। उन्होनें कहा कि जो भी श्रद्धालु दम तोडता उसे ही लोग बहती नदी में बहा देते क्योंकि वहां लाशों से आ रही बदबू से श्रद्धालुओं को परेशानियां आ रही थी। चौकानें वाली बात यह थी कि कुछ नेपाली लोग सहायता करने की बजाए श्रद्धालुओं को लूट रहे थे। उन्होनें बताया कि उनकी आंखो के सामने नेपाली लोगों ने मृतकों की जेबों से पैसे निकालें। औरतों से जेवर उतारे व अन्य सामान लूटकर ले गए। उन्होनंे बताया कि नेपालियों ने जिस तरह की अश्लील हरकतें श्रद्धालुओं के साथ की उसे बयान नहीं किया जा सकता। उन्होनें कहा कि स्थानीय लोगों ने राहत देने की बजाय श्रद्धालुओं को लूटा। 5 रूप्ये की कीमत वाली वस्तु 100 रूप्ये से भी अधिक दाम पर मिल रही थी और वो भी मात्र दो दिनों तक ही मिल पाई । उन्होनंे बताया कि जो सामान हैलीकॉप्टरों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए खाने के लिए गिराया गया उसे भी स्थानीय लोगों ने पैसे में बेचा। उन्होनें कहा कि यदि घटना के समय यहां मोबाईल नैटवर्क बंद न होते तो शायद कुछ लोगों को बचाया जा सकता था क्योंकि संपर्क न होने के कारण अगले दिन भी कोई मदद के लिए नहीं पहुंच पाया।
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