सुंदरनगर, 03 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में गर्मी ने 60 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गर्मी बढ़ने से जमीन में नमी नहीं होने के कारण जंगलों में आग की संभावनाएं बढ़ रही है। इस वर्ष शुरुआती दौर से कहर बरपा रही गर्मी ने वन विभाग की चिताएं भी बढ़ा दी हैं। जहां विभाग ने जंगलों को आग से बचाने के लिए एहतियातन तौर पर 15 दिन पूर्व एक अप्रैल से ही फायर सीजन की घोषणा प्रदेश में कर दी गयी है।
वहीं, वन विभाग ने फायर सीजन में फील्ड स्टाफ की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। ये बात प्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी राजीव कुमार ने जिला मंडी में हिमाचल प्रदेश वन अकादमी के वन रक्षकों की पासिंग आउट परेड सेरेमनी के दौरान मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मार्च महीने के दौरान बारिश में 95 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। इस कारण मिट्टी में नमी नहीं है, और घास सूख गया है। चील की पत्तियां सूख कर गिरने के कारण जंगलों में आग का खतरा बढ़ गया है। आग के मामले के कारण फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी हैं।
राजीव कुमार ने कहा कि विभाग जंगलों में आग लगने की घटनाओं से बचाव करने के लिए कार्य करता है। इसके तहत फायर लाइन को मेंटेन करना और कंट्रोल बर्निंग से चील की सूखी पत्तियों को खत्म किया जाता है। इससे आग लगने का खतरा कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष फायर सीजन को पहले घोषित करना पड़ा है। मौसम अधिक गर्म होने से विभाग की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।
राजीव कुमार ने प्रदेश की जनता से अपील करते हुए कहा कि प्रदेश की वन संपदा विभाग की नहीं बल्कि नागरिकों की है। उन्होंने कहा कि वन विभाग प्रदेश में जंगलों को अपने स्तर पर आग की घटनाओं से बचने की कोशिश कर रहा है। लेकिन लोगों के सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं है। राजीव कुमार ने कहा कि प्रदेश के जंगलों में बढे आग के प्रकरण होने और जानबूझकर आग लगाने की घटना सामने आने लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।