नाहन, 26 मार्च : हिमाचल प्रदेश सिरमौर के राजगढ़ में करीब 21 साल पहले प्रेम व सरला चौहान के घर जुडवां बेटियों का जन्म हुआ। तीन साल बाद एक और बेटी के माता-पिता बने। बेटे को लेकर कोई भी सोच नहीं थी। माता-पिता इस बात को बखूबी जानते थे कि जिनके घर में बेटियां होती हैं वो परियों के देश में रहते हैं।
21 साल गुजर चुके हैं, तीनों ही बेटियां माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं। पढ़ाई में तो शानदार हैं ही, लेकिन तीनों ही बेटियों में गजब का समन्वय है। 18 साल की कृति चौहान को अपनी जुड़वां बहनों हिमांशु व हिमानी के साथ संगीत की महारत हासिल है।
दसवीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में 8वां व छठा स्थान हासिल करने वाली कृति को बहनों के साथ मां सरस्वती ने सुरों की सौगात बख्शी है। शायद, इन होनहार बेटियों को अपने हुनर का इल्म न हो, लेकिन वो इस बात को बखूबी जानती हैं कि जब पढ़ाई करते-करते तनाव हो जाए तो संगीत इससे मुक्ति दिलवा सकता है।
18 साल की कृति ने कुछ माह पहले देश के कई नामी शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला पाने में सफलता अर्जित की थी। लेकिन कृति ने दिल्ली के सैंट स्टीफन कॉलेज में गणित में बीएससी ऑनर्स करने का निर्णय लिया।
वहीं, जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन में पढी जुड़वां बहनों हिमांशु व हिमानी ने भी शैक्षणिक पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्टस में भी माता-पिता के सपनों को पंख लगाए। हिमांशु बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर रही है, वहीं हिमानी बायोलॉजी में एमएससी कर रही है। हिमांशु ने टेबल टेनिस में दो मर्तबा राष्ट्रीय स्तर पर हिस्सा लिया, जबकि हिमानी ने तीन मर्तबा टेबल टेनिस में नेशनल चैंपियनशिप खेली।
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नाहन के कैरियर अकादमी में पढ़ाई के दौरान कृति ने पेइंग गैस्ट रहकर ही न केवल बोर्ड की मैरिट में दसवीं व 12वीं में जगह बनाई, बल्कि 12वीं की पढ़ाई के बाद जब देश के कई बड़े शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले का मौका मिला तो केवल उसी संस्थान को चुना, जिसमें वो पहले से ही दाखिले का सपना देखा करती थी।
विकल्प कई थे, लेकिन सैंट स्टीफन को ही ग्रामीण परिवेश की लड़की ने चुना। हाल ही में युवा विज्ञान पुरस्कार के रूप में 50 हजार की नकद राशि भी हासिल की थी। पिता प्रेम चौहान इस समय राजगढ़ में बीआरसी ‘अपर प्राइमरी’ व मां सरला गौतम सीएचटी के पद पर कार्यरत हैं।
बेटियों के संगीत को लेकर हुनर की जानकारी एमबीएम न्यूज नेटवर्क को एक वीडियो के जरिए मिली। इसके बाद जब पिता से संपर्क हुआ तो कई तथ्य उजागर हुए। इस रियल लाइफ स्टोरी में ये बात सौ फीसदी साबित होती है कि वास्तव में ही बेटियां अनमोल होती हैं। माता-पिता का प्रयास भी काबिले तारीफ है, जिन्होंने बेेटे व बेटियों में कोई फर्क नहीं समझा।
तीसरी बेटी की किलकारी गूंजने के बाद माता-पिता ने यह तय कर लिया था कि परिवार मुकम्मल है।