मंडी, 25 मार्च : कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’इंसानी हौंसले को बयां करती ये पंक्तियां मंडी जिला के धर्मपुर ब्लॉक के बसंतपुर गांव के प्रगतिशील किसान अजय कुमार के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। अपने मजबूत इरादे, कड़ी मेहनत और सरकार से मिली मदद के बूते अजय कुमार ने बंजर पड़ी जमीन पर प्राकृतिक खेती का बेहतरीन मॉडल पेश कर वहां ‘सोना’ उगाने जैसा काम किया है।
रोजगार की तलाश में दौड़ते युवाओं को अजय की सफलता की कहानी उम्मीद बंधाने वाली है कि किस तरह वे अपनों के बीच रहकर खेती बाड़ी को अपनाकर अच्छी खासी आमदनी कमा सकते हैं। अजय कुमार ने बताया कि पिछले 70 सालों से बंजर पड़ी लगभग पांच बीघा पुश्तैनी जमीन को उन्होंने अपनी मेहनत से खेती योग्य भूमि में तबदील किया और स्वरोजगार के माध्यम से जीवन को एक नई दिशा देने का न केवल प्रयास किया बल्कि इसमें कामयाब भी हुए हैं।
किसान अजय ने बताया कि उन्होंने इस खेती की शुरूआत 2020 में की। शुरू में अच्छे परिणाम नहीं मिले लेकिन समय बीत जाने के बाद जमीन कई प्रकार की फसलें तैयार होने लगी। आज अजय अपनी इस जमीन में सभी प्रकार की फसलों को मौसम के हिसाब से प्राकृतिक तौर पर तैयार करते हैं जिसमें सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद का बड़ा हाथ है। वहीं क्षेत्र में प्राकृतिक खेती करने वाले अन्य किसानों का भी यही मानना है कि हमें इस तरफ आगे बढ़ना चाहिए ताकि हमारे बच्चों को कैमिकल मुक्त आहार मिले।
कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा परियोजना) मंडी के परियोजना निदेशक डॉ हितेंद्र सिंह ठाकुर बताते हैं प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अर्न्तगत किसानों को सामूहिक व व्यक्तिगत रूप से विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, भ्रमण कार्यक्रम, प्रदर्शन प्लॉट, फार्म स्कूल जैसी सुविधाएं सामूहिक रूप से जबकि देशी गाय खरीदने, गौशाला को पक्का करने, संसाधन भण्डार व तीन ड्रम की खरीदारी पर अनुदान की सुविधा प्रदान की जा रही है।
मण्डी के ज़िला मण्डी में वर्ष 2018-19 से जनवरी 2022 तक 1489.65 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है व लगभग 33733 किसानों को इस खेती से जोड़ा जा चुका है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती कर किसानों को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाए जा रहे हैं जिससे उन्हें उत्पाद के अच्छे दाम प्राप्त हो सकें। उन्होंने बताया िकइस वर्ष जिला के 12 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
बता दें कि हिमाचल सरकार ने वर्ष 2018-19 से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना आरम्भ की है और इसके अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (जहरमुक्त खेती) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के खर्च को कम करना और आय को बढ़ाना व खाद्य प्रदार्थों को रसायनमुक्त करना है।
इस प्रणाली से किसी भी खाघान्न, सब्जी या बागवानी की फसल की लागत को कम और आय में वृद्धि की जा सकती है साथ ही जलवायु, पर्यावरण और भूमि प्रदुषण मुक्त होगी। इस प्रणाली में फसल की उपज के लिए आवश्यक संसाधनों व घटकों को देशी गाय के गोबर, गोमूत्र व स्थानीय पेड़-पौधों की पत्तियों द्वारा स्वयं तैयार किया जाता है। इसके उपयोग से फसल किसी भी प्रकार के रसायन से मुक्त होती है।