मंडी, 23 मार्च: प्लास्टिक विश्व भर के लिए चिंता का विषय बन चुका है, लेकिन अब ये हाइड्रोजन उत्पादन का जरिया बनेगा। यहां उसी हाइड्रोजन गैस (Hydrogen Gas) की बात हो रही हैं, जिसका फ्यूल (Fuel) भविष्य के लिए सबसे बेहतरीन माना गया है, क्योंकि इससे पर्यावरण (Environment) को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
हिमाचल में आईआईटी मंडी (IIT Mandi) के शोधकर्ताओं (Researchers) ने शानदार खोज कर दिखाई है। आईआईटी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस (School of Basic Science) के प्रोफेसर डॉ प्रेम फेक्सिल सिरिल के नेतृत्व वाली टीम ने ये नई खोज की है। टीम का डॉ. अदिति हालदार, रितुपर्णा गोगोई, आस्था सिंह, वेदश्री मुतम,ललिता शर्मा और काजल शर्मा ने सहयोग दिया।
खोजकर्ता प्रोफेसर डॉ फेक्सिल सिरिल ने बताया कि प्लास्टिक को हाइड्रोजन और अन्य उपयोगी उत्पादों में बदलने में सक्षम फोटो कैटलिस्ट का विकास किया है। फोटो कैटलिस्ट से केवल प्लास्टिक का ट्रीटमेंट (Treatment) ही नहीं बल्कि खाद्य पदार्थों के कचरे और अन्य बायोमास को फोटो रिफॉर्म करना और पानी के प्रदूषकों (water pollutants) को विघटित करना भी मुमकिन होगा।
शोधकर्ताओं ने एक कैटलिस्ट विकसित किया है, जो प्रकाश के संपर्क में प्लास्टिक को हाइड्रोजन और अन्य उपयोगी रसायनों में बदलने में सक्षम है। कैटलिस्ट कठिन या असंभव प्रतिक्रियाओं को अंजाम देने वाले पदार्थ हैं, प्रकाश से सक्रिय होने पर उन्हें फोटो कैटलिस्ट कहा जाता है।
बता दें कि अधिकतर प्लास्टिक पेट्रोलियम से प्राप्त होता है,लेकिन ये बायोडिग्रेडेबल(Biodegradable) नहीं हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इसे आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता। ये न तो ये गलता है और न ही सड़ता है। अगर आप इसे जलाएंगे तो इससे निकलने वाला धुआं (Smoke) पर्यावरण (Enviornment ) को नुकसान पहुंचाता है। कहा जाता है कि अब तक बने 4.9 बिलियन टन प्लास्टिक का अधिकांश आखिर में लैंडफिल में पहुंचेगा जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य (Health) और पर्यावरण को बड़ा खतरा है। बेकाबू हो रहे प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के प्रति उत्साहित आईआईटी मंडी के शोधकर्ता प्लास्टिक (Plastic) को उपयोगी रसायनों (chemicals) में बदलने की विशेष विधियां विकसित कर रहे हैं।बता दें कि इस शोध का खर्च शिक्षा मंत्रालय की शिक्षा एवं शोध संवर्धन योजना (स्पार्क) के तहत किया गया था। शोध के निष्कर्ष जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग (Journal of environmental chemical engineering) में प्रकाशित किए गए हैं।