नाहन – पडोसी राज्य उतराखंड की बारिश ने पांवटा घाटी में यमुना नदी के किनारे रह रहे लोगों की नींद उडा दी है। पडोसी राज्य के अलावा घाटी में भी मूसलाधार बारिश रिकार्ड तोडने के करीब है। यमुना नदी के जलस्तर ने सोमवार को 35 साल पुराने रिकार्ड की करीब-करीब बराबरी की है। 1978 में नदी का जलस्तर 388.25 मीटर दर्ज किया गया था। लेकिन इस साल जून माह में ही नदी का जलस्तर 384.8 मीटर दर्ज हुआ है। सोमवार को दोपहर 2 बजे के बाद जलस्तर घटना शुरू हुआ जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली। लेकिन जलस्तर पुनः बढने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। पांवटा प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर यमुना नदी के किनारे नवादा व रामपुरघाट में रह रहे 465 अप्रवासी मजदूरों को राहत कैंप में भेज दिया है। स्टोन क्रशन एसोसिएशन ने 200 मजदूरों के रहने व खाने की व्यवस्था की है। जबकि 150 मजदूरों को निजी भवन उपलब्ध करवाया गया है। वहीं करीब 100 श्रमिकों को एससी व एसटी होस्टल में भेज दिया गया है। यमुना नदी का जलस्तर अचानक बढ जाने के कारण बहराल पंचायत में करीब एक दर्जन लोग टापू पर फंसे रहे। बारिश जारी रहने के कारण बचाव कार्य भी बाधित हुआ। इसके अलावा राजबन के समीप भी 7 लोगों के टापू पर फंसे होने की सूचना मिली है। दरअसल पांवटा घाटी बरसात के दिनों में संवेदनशील हो जाती है। इसकी वजह यह भी है कि यमुना नदी के अलावा बाता नदी भी उफान पर आ जाती है। इसके अलावा गिरीनदी के जलस्तर का असर भी यमुना व बाता पर पडता है।