मंडी (वी. कुमार) : एक तरफ प्रदेश सरकार और परिवहन मंत्री रोजाना घोषणाएं कर रहे हैं कि परिवहन के बेड़े को आधुनिक बना दिया गया है, नई बसें चलाई जा रही हैं, यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने की डींगे हांक रही हैं तो दूसरी तरफ मौके पर वस्तुस्थिति कैसी है इसकी मिसाल मंडी से छत्तरी वाया मगरूगला चलने वाली बस की हालत को देख कर लगाई जा सकती है। इस रूट पर अक्सर खटारा बस चलाई जाती है जबकि यह बहुत लंबा रूट है व बस भी इसमें खचाखच भरी रहती है। यह बस जब मंडी से सुबह 6 बजे चल कर दोपहर 11 बजे मगरूगला के जंगल में पहुंची तो इसका टायर पंचर हो गया। टायर पंचर होते ही चालक ने बस को एक तरफ खड़ा कर दिया। उस समय बस की सभी सीटों पर सवारियां भरी हुई थी।
सवारियों ने बिहारी लाल छत्तरी, हरपाल सिंह छत्तरी, प्रताप सिंह रूमणी, नेत्र सिंह बधौण, मोती राम बधौण आदि ने बताया कि जब टायर पंचर हो गया और चालक परिचालक बस से उतर कर नीचे आए तो सवारियों ने टायर बदलने को कहा मगर उस समय सब हैरान रह गए जब चालकर परिचालक ने कहा कि स्टपनी तो है मगर इसे बदलने के लिए न तो जैक है और न ही रॉड है। ऐसे में सवारियां जंगल में ही फंस कर रह गई। इन सवारियों ने बताया कि कई लोगों को पैदल ही घंटों सफर करने के बाद गंतव्य तक पहुंचना पड़ा जबकि कई लोगों ने छत्तरी से गाडिय़ां मंगवाई और जेब से 500—500 रुपए खर्च करके घरों तक पहुंचना पड़ा।
बिहारी लाल व अन्य ने बताया कि अक्सर इस मार्ग पर खटारा बस ही भेजी जाती है और उसमें भी कोई सुविधाएं नहीं होती। लोगों ने परिवहन मंत्री से मांग की है कि लापरवाही के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह भी मांग की गई है कि इस मार्ग पर भविष्य में सही बस भेजी जाए क्योंकि इस बस में पर्यटक भी सफर करते हैं। गौरतलब है कि मंडी से छत्तरी के बीच जिले का सबसे खूबसूरत क्षेत्र है जिसकी खूबसूरती को देखने के लिए साल भर पर्यटक आते हैं। इसी बस में जंजैहली तक शिकारी के लिए जाने वाले श्रद्धालु भी जाते हैं जबकि छत्तरी में तो मगरूमहादेव मंदिर है जिसकी ख्याति पूरे देश में है। इस मंदिर के गर्भ गृह की छत्तों पर रामायण व महाभारत को दर्शाती काष्ठकला उकेरित है। ऐसे में यदि सरकार पर्यटन के नाम पर जरा सा भी गंभीर है तो इन मार्गों पर सही बसें चलाई जानी जरूरी है क्योंकि हर पर्यटक के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह अपनी गाड़ी में ही यहां तक जाएं।