बिलासपुर/बैजनाथ, 11 फरवरी: हिमाचल के दो वीर सपूतों की पार्थिव देह शुक्रवार देर दोपहर तक भी पैतृक गांव में नहीं पहुंची। चार दिन से परिवार के आंसू बरबस बह रहे हैं। बैजनाथ घाटी में 6 माह के मासूम को नहीं पता कि पिता राकेश सिंह ने देश पर प्राण न्यौछावर कर दिए हैं। वो तो टकटकी निगाहों से घर पर आने वालों को देख रहा है।
वहीं दूसरी तरफ बिलासपुर का घुमारवीं कस्बा बेटे अंकेश भारद्वाज की शहादत पर गमगीन है, लेकिन फक्र से सीना चैड़ा है। कस्बे को शहीद की तस्वीरों से पाटा जा रहा है। पिता ने इच्छा जाहिर की है कि बेटे की अनंत यात्रा ऐसी हो, जिसमें बारात की तरह बैंड बाजा हो। प्रशासन, आर्मी या होमगार्ड बैंड की व्यवस्था कर रहा है।
WATCH VIDEO : https://youtu.be/XYwoXaZ3MFk
उम्मीद जाहिर की जा रही है कि शुक्रवार रात तक शहीदों की पार्थिव देह अपने-अपने पैतृक गांव पहुंच जाएगी। अरुणांचल प्रदेश में देश के 7 जवानों ने शहादत पा ली थी। इसमें दो हिमाचली बेटे भी वीरगति को प्राप्त हुए। युवा अवस्था में ही मां भारती की रक्षा में अपने प्राणों की आहूति देकर एक मिसाल कायम की है।
आपको बता दें कि शहीद अंकेश भारद्वाज का पूरा परिवार ही भारत मां की रक्षा में तत्पर है।
अंकेश के पिता ने कहा कि परिवार में बेटे, जीजा, सालों के अलावा उनके पांच भाई व तीन भतीजे भी फौज में सेवाएं देते आ रहे हैं। गर्व है कि बेटा शहीद हुआ है।
उधर, बैजनाथ की कंदराल पंचायत में 26 वर्षीय शहीद राकेश सिंह की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। बेटा तीन माह पहले ही डयूटी पर गया था। शहीद की 22 वर्षीय पत्नी अंजली अपने 6 माह के बेटे रियांश के साथ बेसुध है। पति की शहादत की खबर मिलने के बाद वो दो दिन तक कमरे से बाहर नहीं निकल पाई।
परिवार को उम्मीद है कि जल्द ही इकलौते बेटे की पार्थिव देह घर पहुंचेगी। पिता जिगरी राम भी भारतीय सेना से रिटायर हुए हैं।