सोलन,18 जनवरी : केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की पड़ताल में देश के विभिन्न राज्यों में निर्मित 35 दवाएं अवमानक (Substandard) पाई गई है। इनमें से दो दवाओं की गुणवत्ता सही नहीं पाई गई है। हिमाचल के 7 दवा उद्योगों में निर्मित 6 दवाएं व एक दर्द निवारक स्प्रे भी गुणवत्ता के मानकों पर खरा नहीं उतर पाया है, पांवटा साहिब के उद्योग में निर्मित दवा के सैंपल भी फेल हुए है।
हिमाचल में निर्मित इन दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर अनिद्रा, एलर्जी, बैक्टीरियल इंफेक्शन, दर्द के उपचार(Painkiller) में किया जाता है। राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण हरकत में आते हुए संबंधित दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पूरा बैच हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
सनद रहे कि केंद्रीय नियामक की इस कवायद का मकसद गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने वाली दवाओं देश के तमाम राज्यों के दवा नियामक प्राधिकरण आपूर्ति व बिक्री पर प्रतिबंध लगाना है,ताकि जनता को जल्द से जल्द ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल से रोका जा सके। इसी कड़ी में नवंबर माह में केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देश भर के अलग अलग राज्यों से 1385 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 35 दवाएं सब स्टैंडर्ड पाई गई,जबकि 1350 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही निकली है।
डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि संबंधित फार्मा कंपनियों को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए उन्हें सब स्टैंडर्ड दवा का पुरा स्टॉक बाजार से हटाने के आदेश दे दिए गए है। इसके अलावा संबंधित क्षेत्रों के सहायक दवा नियंत्रकों को उन यूनिट की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है जिनकी दवाओं के सैंपल बार बार फेल हो रहे हैं, जबकि दवा निरीक्षकों को अन्य उद्योगों का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।