पांवटा साहिब, 2 जनवरी : अस्पताल में एक टीबी के रोगी की मौत हो गई। चूंकि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, लिहाजा इलाज में लापरवाही की आशंका जाहिर की जा रही है। इस मामले में बड़ा सवाल ये उठ रहा कि क्या मृतक का परिवार ने इस कारण तिरस्कार कर दिया था क्योंकि वो टीबी से पीडित था। ये प्रश्न इस कारण पैदा हो रहा है क्योंकि मृतक शख्स स्थानीय निवासी है, बावजूद इसके मौत के बाद पुलिस को परिवार की तलाश में जुगत लगानी पड़ी।
आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि मृतक की तीमारदारी के लिए भी कोई नहीं आया हो। चूंकि, टीबी के जीवाणु हवा में फैलते है इसी कारण हर कोई मरीज से दूरी बनाने की कोशिश करता है। ये अलग बात है कि टीबी के ज्यादातर मामले एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसमें भी वक्त लग जाता है। आमतौर पर इसकी दवा 6 से 9 महीने तक चलती है। बता दे कि हिमाचल को 2023 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, इसी मकसद से मुख्यमंत्री क्षय निवारण योजना की शुरुआत 2018 में की गई थी।
पुलिस सहायता कक्ष रामपुर घाट को थाना पुरुवाला से सूचना मिली कि अस्पताल दाखिल एक मरीज की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई है। इसके बाद पुलिस टीम अस्पताल पहुंची, जहां एक व्यक्ति का शव स्ट्रेचर पर पड़ा मिला। हालात तस्दीक करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस पत्र सौंपते हुए लिखा कि 47 साल का मृतक लक्ष्मण पुत्र भोला निवासी रामपुर घाट 13 दिसंबर 2021 से अस्पताल में दाखिल था वो टीबी की बीमारी से ग्रसित था। टीबी की वजह से उसकी मौत हो गई। परंतु मृतक के परिवार से कोई भी सदस्य मौजूद न था, मृतक के शव को प्राप्त करने भी कोई नहीं आया।
पुलिस ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया। पहने हुए कपड़ों के अलावा कोई भी समान या कागज इत्यादि बरामद नहीं हुआ है। इसके बाद शव को शव गृह पॉवटा साहिब में रखा गया। उधर, पुलिस मृतक लक्ष्मण के परिवार जनों की जानकारी जुटा रही है।
डीएसपी वीर बहादुर ने मौके का निरीक्षण किया। डीएसपी ने पुष्टि करते हुए कहा कि मौत के कारणों को लेकर जांच जारी है। उन्होंने माना कि पुलिस को भी ये बात समझ नहीं आई कि मृतक के परिवार वाले क्यों अस्पताल में मौजूद नहीं थे?