शिमला, 27 दिसंबर : देवभूमि हिमाचल प्रदेश में छात्र संगठनों में झड़प की घटनाओं से शिक्षण संस्थानों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। आए दिन शिक्षण संसथान कुश्ती अखाड़े बनते जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि पिछले कुछ समय से लड़कों से ज्यादा लड़कियों के बीच झड़प के वीडियो सामने आ रहे है जिससे सोशल मीडिया पर लगातार शिक्षण संस्थानों में अनुशासन पर सावल उठाए जा रहे है। पिछले दिनों हिमाचल यूनिवर्सिटी के कैंपस में एसएफआई व एबीवीपी के छात्रों के बीच हुई खुनी भिड़ंत में कई छात्र चोटिल हुए।
इस घटना का एक हैरंतगेज वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें एक छात्र संगठन का कार्यकर्ता अपने हाथ में दराट लहरा रहा था। इस घटना के अगले दिन दोनों छात्र संगठनों के कार्यकर्ता फिर आपस में भिड़े। छात्र संगठनों में झड़प की तस्वीरें चंबा सहित अन्य जिलों के शिक्षण संस्थानों से भी सामने आई हैं। वहीं, शिमला के आरकेएमवी कॉलेज से भी छात्राओं के बीच झड़प का वीडियो सामने आया ।
राजधानी के एक कन्या महाविद्यालय में तो छात्राएं आपस में भिड़ गईं। छात्र संगठनों एबीवीपी और एसएफआई के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा की इन घटनाओं से जहां शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा इंतजामों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं नवआंतुक व छात्र सियासत से किनारा करने वाले विद्यार्थी सहम रहे हैं।
हिमाचल यूनिवर्सिटी में छात्र गुटों के भिड़ने की घटना ने विवि के सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोल कर रख दी है। एक छात्र संगठन के कार्यकर्ता द्वारा कैंपस के भीतर खुलेआम दराट लहराना शांतप्रिय हिमाचल की छवि को भी धुमिल कर रहा है। जानकारी अनुसार विवि प्रशासन द्वारा इस झगड़े के सूत्रधार रहे छात्रों पर ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। यह अलग बात है कि स्थानीय पुलिस मारपीट पर क्रास एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
सवाल यह उठता है कि कैंपस के भीतर छात्र दराट लेकर कैसे घूस रहे हैं और छात्रों ने कैंपस को हथियारों का अड्डा कैसे बना लिया है। छात्र संगठनों एसएफआई व एबीवीपी कार्यकर्ताओं के भिड़ने की मूख्य वजह दोनों संगठनों के बीच वर्चस्व की जंग है।
इन झगड़ों को रोकने के लिए विवि व कॉलेज प्रशासन को संजीदा होकर छात्र संगठनोें को विश्वास में लेकर प्रयास करने की जरूरत है। इसके अलावा हुड़दंगी छात्रों के विरूद्व कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने से भी प्रशासन को गुरेज नहीं करना चाहिए।