सराहां (एमबीएम न्यूज): हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के गृह क्षेत्र की तरह उनके द्वारा किसानों व बागवानों के लिए शुरू की गई महत्वकांक्षी योजनाएं भी उपेक्षा का दंश झेल रही है। डॉ. परमार के प्रयासों से बागथन में बागवानी पर आधारित उद्योग इकाई स्थापित की गई थी, जो अब पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है। इसके अलावा बागथन में फल संतति एवं उद्यान विभाग के पास 323 बीघा भूखंड है, जो विभाग की अनदेखी के चलते बंजर हो चला है। स्थानीय कांग्रेस नेताओं और बागवानों ने यहां विभाग की भूमि को बागवानी प्रोजेक्ट के तहत योजनाओं में शामिल करने और उद्योग को फिर से शुरू करने की मांग की है।
पच्छाद कांग्रेस ब्लॉक ने बागथन में बागवानी योजनाओं के लिए आवाज बुलंद की है। क्षेत्र के नेताओं का कहना है कि क्षेत्र में बागवानी प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार की ओर से जो राशि स्वीकृत की गई है, उस योजना में बागथन स्थित फल संतति उद्यान केंद्र को भी शामिल किया जाए। पच्छाद कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष सिरमौर सिंह, प्रवक्ता मोनी ठाकुर, उपाध्यक्ष भगत राम, सूरत राम, श्याम लाल फरमाहे, राजेंद्र शर्मा, संजय पॉल ठाकुर, हुनर सिंह आदि ने कहा कि बागथन फल संतति एवं उद्यान विभाग के पास मौजूदा समय में 323 बीघा भूमि का अधिकतर हिस्सा बंजर पड़ा हो चुका है।
कांग्रेस नेताओं ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के प्रयासों से यहां पर उद्योग इकाई स्थापित की गई थी, जो अब पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है। नेताओं ने उसे दोबारा से शुरू करने की मांग की है। साथ ही बागथन में बागवानी प्रोजेक्ट के तहत नर्सरी को फिर से चालू करने की मांग की है, ताकि बागवानों को इसका लाभ मिल सके।
गौरतलब है कि बागथन में 70 के दशक में बनी प्रदेश की एकमात्र फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट को पालमपुर स्थानांतरित कर दिया गया था। पच्छाद तहसील मुख्यालय सराहां में जिला पशु पॉलीकनिलिक को पांवटा साहिब ले जाया चुका है। दशकों से पच्छाद में कोई नया प्रोजेक्ट नहीं लगा है। सिरमौर की तहसील पच्छाद के क्वागधार में कृषि विभाग का 17 हेक्टयर के करीब का फार्म भी उजाड़ पड़ हुआ है। कभी इसमें लहलहाने वाली फसलों के स्थान पर झाडिय़ों का घना जंगल उग चुका है।
जिला कृषि विभाग ने 4 साल पहले इस फार्म को डीसी सिरमौर को सपुर्द किया था, लेकिन उसके बाद भी इस भूखंड का जनहित में कोई उपयोग नहीं हो पाया है। जबकि 17 हेक्टेयर भूमि में कृषि के अलावा भी कई योजनाएं शुरू हो सकती हैं। क्षेत्र के लोगों ने इन उद्यान व कृषि विभाग की इन जमीनों के उपयोग की मांग की है।