रिकांगपिओ (जेएस नेगी) : प्रदेश सरकार एक ओर स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा पर बल देने की बात करती हो, लेकिन जिला किन्नौर में कई निर्माणाधीन स्कूल भवन कई वर्षो से अधर में लटके हुए हैं। इनकी सुध न ही शिक्षा विभाग और न ही प्रशासन व सरकार ले रही है, जिस का खमियाजा स्कूल में पढ़ रहे छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। करोड़ों की लागत से निमार्णाधीन राजकीय उच्च पाठशाला बारंग स्कूल भवन का शिलान्यास वर्ष 2००6 में रखा गया था। मगर पिछले करीब दस वर्षो से भवन का कार्य पूरा नहीं हुआ है। इस बीच इस स्कूल को अपग्रेड कर सीनियर सैकेंडरी स्कूल भी बनाया गया, मगर भवन का कार्य अब भी अधर में है। तब से छात्रों की पढ़ाई बारंग में ही आयुर्वेद औषधालय में चल रहा है। जबकि आयुर्वेद औषधालय को किसी निजी मकान भी शिफ्ट किया गया है। जिस आयुर्वेद औषधालय में सीनियर सकेंडरी स्कूल चल रहा है छात्रों की संख्या को देखते हुए नाकाफी है। पिछले सत्र में बारंग स्कूल में छात्रों की संख्या करीब 118 थी। जिस आयुर्वेद औषधालय में स्कूल चल रहा है, कमरे छोटे-छोटे होने के साथ पर्याप्त स्थान नही है जिस कारण स्कूल की पढाई भी बाधित हो रही है। उधर दस वर्ष पूर्व स्कूल भवन के निर्माण के लिए शिक्षा विभाग की ओर से करीब एक करोड़ 30 लाख रुपए लोकनिर्माण विभाग भावानगर को दिया जा चुका है।
उपप्रधान बारंग चद्रपॉल नेगी ने कहा कि दस वर्षो से अधूरे स्कूल भवन को पूरा करने को लेकर पंचायत ने सचिव लोकनिर्माण विभाग शिमला को भी अवगत कराया गया है। नेगी ने कहा कि शिक्षा विभाग व प्रशासन को स्कूल भवन का कार्य शीघ्र पूर्ण करने बारे कई बार शिकायत की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि स्कूल भवन का शीघ्र पूर्ण नहीं होता है तो बारंग स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के साथ अभिवाहक शिक्षा विभाग कार्यालय रिकांगपिओ का घेराव करेगी।
उधर प्रधानाचार्य सीनियर सैकेंडरी स्कूल बारंग चंद्र शेखर ने कहा कि भवन नही होने से छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उपनिदेशक शिक्षा विभाग राकेश कुमार भारद्वाज ने कहा कि बारंग स्कूल भवन के निर्माण के लिए लोकनिमार्ण विभाग को एक करोड़ 30 लाख की राशि दी जा चुकी है। कार्य पूर्ण करने के लिए विभाग को कई बार लिख चुके है।