मंडी (वी कुमार) : मंडी जनपद के अराध्य देव कमरूनाग अपने मूल स्थान से मंडी जिला मुख्यालय के लिए रवाना हो गए हैं। देव कमरूनाग के साथ उनके देवलु और पुलिस कर्मी भी मौजूद हैं। अपने मूल स्थान से चलने के बाद देव कमरूनाग ने चैलचौक में रात्रि विश्राम किया, जहां पर जिला के प्रशासनिक अधिकारियों ने पहुंचकर देवता का स्वागत किया और पूजा-अर्चना करके अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की सफलता की कामना की।
बता दें कि देव कमरूनाग को मंडी जनपद का अराध्य देव माना जाता है और उनके मंडी पहुंचने के बाद से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होता है। देव कमरूनाग ज्यूणी घाटी में वास करते हैं। हालांकि देव कमरूनाग का मूल स्थान काफी दुर्गम है और वहां पर सिर्फ गर्मियों के मौसम में ही जाना संभव होता है लेकिन ज्यूणी घाटी में देवता का भंडार बनाया गया है, जहां पर देवता की छड़ रखी जाती है। यहां से मंडी जिला मुख्यालय की दूरी करीब 100 किलोमीटर की है और इस दूरी को देवता के साथ चलने वाले देवलु पैदल चलकर तय करते हैं।
राजाओं के जमाने से चली आ रही परंपरा के अनुसार जब देव कमरूनाग मंडी पहुंचते थे तो उनका स्वागत मंडी रियासत के राजा द्वारा किया जाता था। हालांकि आज पहले उनका स्वागत जिला प्रशासन करता है और उसके बाद देव कमरूनाग राजा के परिवार के पास उनसे मुलाकात करते हैं। वर्ष में सिर्फ यही एक मौका होता है जब देव कमरूनाग अपने मूल स्थान से मंडी के लिए आते हैं। यही कारण है कि भक्त इस पल का बेसब्री से इंतजार करते हैं और देवता को अपने घर पर रात्रि विश्राम के लिए ठहराते हैं।
मान्यता है कि जिस दिन देव कमरूनाग मंडी पहुंचते हैं उस दिन बारिश जरूर होती है। बता दें कि देव कमरूनाग को बारिश का देवता माना जाता है और जब कभी बारिश का प्रकोप बढ़ जाये या फिर सूखा पड़ जाये तो जिला के लोग देवता की शरण में जाकर फरियाद लगाते हैं। अभी देव कमरूनाग अपने मूल स्थान से मंडी के लिए चल पड़े हैं और आने वाली 6 मार्च की शाम को वह मंडी पहुंचेंगे, जिसके बाद वह सात दिनों के लिए टारना माता मंदिर में रूककर भक्तों को अपना दर्शन देंगे।