सरकाघाट/सुंदरनगर (नितेश सैनी): बुधवार को नौबाही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने सुंदरनगर में प्रेस कांफ्रेंस कर सरकाघाट प्रशासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन का आगाज किया। कांफ्रेंस की अध्यक्षता ललित जंवाल ने की। इस अवसर पर नौबाही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष ललित जंवाल, संयोजक ईश्वर दास, पुजारी रमेश शर्मा उपस्थित थे। प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए ललित जंवाल ने कहा कि मंदिर परिसर में पिछले नौ सालों से विकास पर लगा विराम श्रद्धालुओं को रास नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा कि जब से मंदिर सरकारी हुआ है, तब से लेकर आज तक मंदिर में एक भी ईंट नहीं लगी। सराय भवन कभी भी गिर सकता है। अन्य भवन भी जगह-जगह से जर्जर हो चुके हैं। पिछले नौ सालों से मंदिर के किसी भी भवन को रंग-रोगन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा आय-व्यय का कोई रिकार्ड नहीं दर्शाया जाता। संघर्ष ने मंदिर प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि भंडारे के समय, नवरात्रों के समय, मेले के समय प्रशासन के सामने फर्जी पर्चियों का काला कारोबार किया जाता है।
इससे प्रशासन की मिलीभगत होने के संकेत मिलते हैं। उन्होंने मंदिर में 0 के करीब समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि प्रशासन से कई बार आग्रह किया गया, लेकिन प्रशासन की निंद्रा टूटती ही नहीं है। इस नौबाही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने मंडी, बिलासपुर व हमीरपुर में प्रशासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाने का ऐलान सबसे पहले सुंदरनगर से किया। इसमें तीनों जिलों के लोगों से आग्रह किया जाएगा कि शिवरात्री से मंदिर में पैसा नहीं मात्र फूल ही चढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि जब पैसा मंदिर के लिए खर्च ही नहीं होना है, तो फिर श्रद्धालु क्यों धन चढ़ाएंगे। पिछले नौ सालों से लगभग डेढ़ करोड़ रुपयों का कोई अता-पता नहीं है। मंदिर के लिए एक पाई भी खर्च नहीं की। इतना ही नहीं मंदिर प्रशासन को लोगों का लगभग तीन लाख रुपए लोगों का देना बाकी है। गौर हो कि असहयोग आंदोलन चलाने से पहले संघर्ष समिति ने प्रशासन को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन प्रशासन की निंद्रा नौ सालों से टूट ही नहीं रही है।
मेरे पास और भी काम हैं। संघर्ष समिति क्या कर रही है, मुझे कोई जानकारी नहीं है।
-पवन शर्मा, टैंपल ऑफिसर व तहसीलदार सरकाघाट