नाहन, 27 नवंबर: श्री साईं अस्पताल में ओपन सर्जरी की तुलना में दूरबीन (Laparoscopy) से गर्भाशय (बच्चदानी) को हटाने का विकल्प उपलब्ध है। इसके अलावा रसौली (Tumor) को भी निकालने की सर्जरी (Surgery) दूरबीन से की जाती है। इसकी महारत संस्थान के चेयरमैन डाॅ. दिनेश बेदी को 15 साल के तजुर्बे से हासिल हुई है।
प्रबंधन का दावा है कि श्री साईं अस्पताल में लेपरोस्काॅपी का विकल्प चुनने से पहले मरीज या फिर तीमारदार (Attendant) निजी अस्पतालों या फिर सरकारी संस्थानों से तुलना कर लें। इसमें कोई दो राय नहीं है कि गर्भाशय (Uterus) को हटाने की ओपन सर्जरी (Open Surgery) जटिल होती है। साथ ही मरीज को रिकवर होने में एक महीने तक का भी समय लग जाता है। वहीं, इसके विपरीत लेपरोस्कोपिक (laparoscopic) एक सुरक्षित, सरल व कम समय लेने वाली सर्जिकल प्रक्रिया है, जो रोगी के स्वास्थ्य को अधिक प्रभावित नहीं करती।
श्री साईं अस्पताल के प्रबंधन की ये भी दलील (plea) है कि स्थानीय स्तर पर ये सर्जरी मात्र 30 से 45 हजार के बीच हो रही है। वहीं, बड़े शहरों में खर्चा डेढ़ लाख तक भी पहुंच सकता है। खास बात ये बताई गई कि ओपन सर्जरी की कीमत के आसपास ही लेपरोस्कोपिक तकनीक से गर्भाशय को रिमूव किया जा रहा है। साथ ही रसौली की भी सर्जरी संभव है।
लेपरोस्कोपिक के आधुनिक उपकरण स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करवाने के बाद प्रबंधन को इस बात का भी मलाल है कि स्थानीय स्तर पर रोगियों द्वारा इसका फायदा नहीं उठाया जा रहा। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के अंबाला में भी केवल डाॅ. दिनेश बेदी ही एकमात्र विशेषज्ञ (sole expert) हैं, जो दूरबीन की विधि से गर्भाशय को हटाते हैं।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डाॅ. दिनेश बेदी ने कहा कि लेपरोस्काॅपी एक नवीनतम सर्जिकल प्रक्रिया है। इसमें लेपरोस्कोप की मदद से बहुत ही छोटे आकार के कट के माध्यम से गर्भाशय को हटाया जाताा है। बच्चेदानी को निकालने के लिए महिला के पेट के निचले हिस्से में आधा इंच से भी कम आकार के कट लगाए जाते हैं।
ओपन सर्जरी में बड़ा चीरा लगाया जाता है। यही कारण रहता है कि इसके बाद महिला को कई दिन तक अस्पताल में रहना पड़ता है, जबकि लेपरोस्कोपिक हिस्टेरेक्टाॅमी (laparoscopic hysterectomy) में दो-तीन दिन के बाद भी महिला सामान्य दिनचर्या शुरू कर सकती है। उन्होंने कहा कि लेपरोस्कोपिक सर्जरी के लिए तमाम एडवांस उपकरण उपलब्ध हैं।