मंडी (वी कुमार) : फौजियों की जिंदगी से हर कोई वाकिफ है। सभी जानते हैं कि एक फौजी सरहदों की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों तक की आहूति दे देता है, लेकिन बदले में उस फौजी को सरकारें क्या दे पाती हैं, शायद कुछ भी नहीं। अगर कुछ दे पाती तो शायद आज दिव्यांग हो चुके एक सैनिक के घर तक सड़क पहुंच जाती।
अपने करीबियों से बातचीत करते लांस नायक संजू। जब भी आतंकी हमले में कोई फौजी गंभीर रूप से घायल होता है तो पूरा देश उसकी सलामती की दुआ मांगने लग जाता है। घायल फौजी से मिलने के लिए नेताओं का तो जैसे मेला ही लग जाता है। कुछ ऐसा ही मंडी जिला के तहत आने वाले जोगिंद्रनगर उपमंडल के कडकोही गांव निवासी संजू राम के साथ भी हुआ। सितंबर 2011 को डोगरा रेजिमेंट के लांस नायक संजू राम श्रीनगर में डयूटी पर तैनात थे, तभी अचानक से एक बम्ब ब्लास्ट हुआ और इस हमले में संजू राम ने अपनी दोनों टांगे गंवा दी।
आज लांस नायक संजू राम दिव्यांग की जिंदगी जीने को मजबूर है। लेकिन इससे भी बड़ी मजबूरी और विडम्बना देखिये कि संजू राम ऐसी हालत में होने के बाद भी अपने परिवार से कोसों दूर रहने को मजबूर है। कारण संजू राम के घर तक सड़क का न हो पाना है। जिस कडकोही गांव में लांस नायक संजू राम का घर है, वह सड़क से 6 किलोमीटर दूर है और ऐसी स्थिति में इतना लंबा सफर पैदल तय कर पाना किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं हो सकता, खासकर तब जब उसकी दोनों टांगे न हो।
संजू राम अभी डोगरा रेजिमेंट में ही अपनी सेवाएं दे रहा है और उसे कार्यालय के कार्य में अडजेस्ट करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। संजू राम ने दोनों नकली टांगे लगा रखी हैं और बैसाखियों के सहारे थोड़ा बहुत चल पाता है। जब संजू राम पूरी तरह से स्वस्थ था तो इन्होंने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में देश के लिए अपनी सेवाएं दी। यहां तक की एनएसजी में भी तीन वर्षों तक कार्य किया। लेकिन आज विडम्बना देखिये कि संजू राम टांगे कट जाने के पांच वर्ष तक अपने घर नहीं जा सका और इसका मुख्य कारण है सड़क का न होना।
हादसे के पांच वर्ष बाद जब संजू राम के छोटे भाई का विवाह तय हुआ तो ऐसी स्थिति में संजू राम को घर जाना ही पड़ा। 6 किलोमीटर तक संजू राम को ले जाने के लिए गांव वाले मुख्य सड़क तक आये हुए थे। मुख्य सड़क पर पहुंचते ही गांव वालों ने संजू राम का जोरदार स्वागत किया और पालकी पर बैठाकर अपने गांव के इस जाबांज को उसके घर तक पहुंचाया।
बता दें कि संजू राम जोगिंद्रनगर में किराये के कमरे में रहने को मजबूर है। संजू राम ने बताया कि उसने सड़क बनाने के लिए पीएम से लेकर सीएम और जिला प्रशासन से लेकर लोक निर्माण विभाग तक को कई बार लिखा, लेकिन कोई कार्रवाही नहीं हुई। ऐसा भी नहीं कि सरकारों और प्रशासन ने सड़क नहीं बनाई। सड़क के लिए राज्य सरकार ने भी धन दिया, सांसद महोदय ने भी पैसा दिया, सड़क को विधायक प्राथमिकता में भी डाला गया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इतना सब कुछ होने के बाद पांच वर्षों में सिर्फ 300 मीटर सड़क ही बन पाई है।
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इस बारे में हमने जिला प्रशासन से भी बात की। एडीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि अभी तक 850 मीटर सड़क का निर्माण जिला प्रशासन के फंड से किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि जितनी सड़क बन पाई है वह नीजि भूमि थी जिसे लोगों ने सड़क निर्माण के लिए दान किया था। इससे आगे की जमीन वन भूमि आती है और इसके लिए एफसीए की मंजूरी लेना अनिवार्य है। ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि सड़क की डीपीआर बन चुकी है और जल्द ही इस मामले को एफसीए की मंजूरी के लिए भेज दिया जायेगा।
यह कोई एक फौजी की कहानी नहीं है। जो फौजी देश की खातिर शहीद भी हुए हैं उनके नाम पर भी कई कोरी घोषणाएं की जा चुकी हैं जो आज दिन तक पूरी नहीं हो पाई है। कोरी घोषणाओं की लिस्ट में लांस नायक संजू राम का नाम भी जुड़ गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर लांस नायक संजू राम की कुर्बानी को याद रखते हुए कडकोही गांव तक बनने वाली सड़क का जल्द से जल्द निर्माण करवायेंगे। ताकि संजू राम ऐसी स्थिति में अपने परिवार वालों के बीच थोड़ी सुकून की जिंदगी बीता सके।