शिमला (शैलेंद्र कालरा): श्रीनगर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहादत को चूमने वाले लांस नायक ओम प्रकाश साधारण सैनिक नहीं था। बल्कि देश पर मर-मिटने का जज्बा रखने वाला एक असाधारण पैरा कमांडो था, जिसकी शहादत पर नौंवी पैरा यूनिट गमगीन है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से शहीद के दोस्तों ने खुलासा किया कि उसमें देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। दोस्तों को बखूबी पता था कि वह एक दिन शहादत को चूमेगा। अगर शहीद सामान्य तरीके से अपनी डयूटी कर रहा होता तो कतई उसे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा असाधारण सुरक्षा सेवा प्रमाणपत्र से नहीं नवाजा जाता। हरेक ऑपरेशन में सबसे आगे रहने का जज्बा था।
शहीद के दोस्तों को 30 जुलाई 2013 का दिन आज भी याद है, जब लांस नायक ने दुश्मनों के चार जवानों को मार गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 10 दिन तक ओम प्रकाश भारत-पाक सीमा पर जंगल में ही डटा रहा था। इसके बाद मौका मिलते ही दुश्मनों के चार जवानों को मौत के घाट उतार दिया। इसी जांबांजी पर ओम प्रकाश को असाधारण सुरक्षा सेवा प्रमाणपत्र 9 अप्रैल 2014 को मिला था। लांस नायक की इस बहादुरी के साक्षी उसके दोस्त अश्वनी व शीशराम भी थे, क्योंकि वह ओम प्रकाश के साथ ही थे। अक्सर ओम प्रकाश की जुबान पर ‘‘भारत माता की धरती पर हम किसी को इतनी आसानी से नहीं करने देंगे राज’’ रहता था।
पैरा की 9वीं यूनिट के सैनिक अश्वनी व शीश राम का कहना है कि भाई का दिल पता नहीं किस चीज का बना था कि वह बिल्कुल नहीं डरता था। शहीद के दोस्तों अश्वनी व शीश राम की मानें तो हर पल ओम प्रकाश दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए तैयार रहता था। यहां तक की पूरी नौकरी में यूनिट का कोई ऐसा ऑपरेशन नहीं था, जिसमें वह सबसे आगे न रहा हो। अगर दोस्तों की मानें तो 21 फरवरी को भी लांस नायक उस वक्त सबसे आगे था, जब आतंकियों के साथ श्रीनगर के पोम्पार में आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी।
बेहतरीन पैरा कमांडो ओम प्रकाश की बहादुरी पर नौंवी पैरा के एक मेजर भी लेख लिख रहे हैं। सेना की देशहित में कुछ ऐसी बंदिशें होती हैं, जिनकी वजह से कई जांबांजी के किस्सों को सांझा नहीं किया जा सकता।