शिमला, 18 नवंबर : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि दल बदल कानून पर पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में सहमति नहीं बन पाई है। अब इस कानून को फिर से चर्चा के लिए लाया जाएगा। बिड़ला शिमला में पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन के बाद एक पत्रकारवार्ता को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दल बदल कानून को लेकर सी.पी.जोशी कमेटी की रिपोर्ट पटल पर विचार के लिए रखी गई लेकिन इस पर पीठासीन अधिकारियों में कोई एक राय नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में 11 संकल्प पारित किए गए। इसके तहत संसद द्वारा एक मॉडल नियमावली बनाने का निर्णय हुआ। इस नियमावली को देश के सभी विधान मंडलों में लागू किया जाएगा। ये नियमावली इसलिए तैयार की जाएगी ताकि विधानमंडलों की कार्यशैली को सुचारू बनाया जा सके और इसमें एकरूपता लाई जा सके।
कहा कि सम्मेलन में सभी पीठासीन अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण में एवं प्रश्नकाल के दौरान सदन की कार्यवाही में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 1921 में इस सम्मेलन का शुभारंभ शिमला में ही हुआ था और इस सम्मेलन के 100वें वर्ष में एक बार फिर शिमला में ही मिलना हम सब पीठासीन अधिकारियों के लिए सौभाग्य की बात है।
सम्मेलन में इस बात पर सहमति हुई है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण व प्रश्नकाल व जनहित के मुद्दे पर सदन में कोई भी व्यवधान न हो इसको लेकर सभी दलों में बातचीत की जाएगी। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में सभी विधान मंडलों में शून्यकाल का प्रावधान करने पर भी अपनी सहमति जताई है। बिड़ला ने कहा कि अधिकतर विधानसभा में शून्यकाल शुरू हो चुका है और अन्य स्थानों पर आने वाले समय में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शून्कालय में सदस्य के सवाल का लिखित जवाब देने भी व्यवस्था शुरू की है।
इस वर्ष के सम्मेलन में लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोकतांत्रिक संस्थाओं को एक प्लेटफार्म पर लाने, सदस्यों की कैपेसिटी बिल्डिंग, सदनों में अनुशासन और शालीनता में अभिवृद्धि, सदन में चर्चा के स्तर में सुधार, लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनभागीदारी बढ़ाने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और संवाद किया गया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सम्मेलन में विधान मंडलों की कार्यवाही को अधिक प्रभावी स्वरूप देने के लिए इनके नियम और प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संसद के दौरान माडल नियम-प्रक्रियाएं बनाकर विधान मंडलों को उपलब्ध करवाई जाएंगी।
विधान मंडल अपने-अपने सदनों की परम्पराओं के अनुरूप उनको अनुपालन करेंगे। विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी हमारे लिए चिंता का विषय है। पूर्व में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के अनुसरण के लिए सभी दलों से चर्चा कर नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे।