पांवटा साहिब (भीम सिंह): पांवटा के बांगरण पुल का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। गिरीपार क्षेत्र के एक हिस्से को पांवटा से जोडने वाला एकमात्र यह पुल सरकारी उपेक्षाओं का शिकार हो रहा है। पुल के दोनों सिरे जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था हाल में पहुंच गए हैं। दोनों सिरों पर गड्डे बन गए हैं। जबकि पुल में मध्य में बडे-बडे गड्डे हो चुके हैं। पुल पर लगी ग्रिल भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिनको सम्बन्धित विभाग गम्भीरता से नहीं ले रहा है।
यह एकमात्र ऐसा पुल है, जिसका लाभ गिरीपार में रहने वाले लाखों लोगों को मिलता है, क्योंकि गिरीपार क्षेत्र में अस्पताल, शिक्षा, रोजगार, बस आवगमन की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए क्षेत्र के सभी लोगों को पांवटा आना पडता है। जबकि ऊपरी क्षेत्र में अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान पांवटा की अनाज मण्डी में आते हैं। यदि इस पुल को क्षति पहुंचती है, तो गिरीपार का सम्पर्क पांवटा से पूरी तरह से टूट जाएगा और इसका नुकसान दोनों ही क्षेत्रों के लोगों को पडेगा। पुल को क्षतिग्रस्त करने में कई पहलू सामने आए हैं।
अवैध खनन करने वाले ट्रेक्टरपुल के नीचे से रेत और बजरी को ले जा रहे है, जिससे इसके पिलर खाली हो रहे है। सबसे बडी समस्या अवैध करने बाद जो भारी वाहन इस पुल से होकर गुजरते है। उन पर प्रशासन का शिकंजा नही है और यह वाहन ओवरलोडिंग करके सडकों की तबाही कर रहे हैं। दो वर्षों पहले बांगरण नदी जो कि उफान पर थी और पानी के कारण पुल का एक सिरा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। भारी मशकत के बाद सम्बन्धित विभाग ने ठीक किया। लेकिन अब स्थिति पहले जैसी हो चुकी है। जानकार मानते हैं कि यदि इस पुल की ओर अनदेखी की गई, जिसके परिणाम गिरीपार क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए घातक साबित हो सकते है।
उधर इस बारें में लोनिवि का कहना है कि पुल के रख-रखाव का कार्य विभाग द्वारा समय-समय पर किया जाता है बरसात के कारण पुल के जो दोनों सिरे क्षतिग्रस्त हुए है उनको शीघ्र ही मरम्मत किया जाएगा।